
ग्वालियर। शहर में धूल से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। विभिन्न प्रोजेक्ट के कारण सड़कें उखड़ी पड़ी है जगह-जगह गड्ढे हो रहे हैं। इनसे उड़ने वाली धूल ने स्किन एलर्जी, सांस और आंखों में खुजली के मरीज चार गुना बढ़ा दिए हैं। जेएएच के चर्म रोग विभाग में स्किन के जहां 4 से 6 मरीज आते थे अब उनकी संख्या बढ़कर 15 से 20 तक पहुंच गई है। सांस और दमा के रोगियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। जुकाम के मरीज भी बढ़े हैं। एलर्जी के मरीजों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें दीनदयाल नगर के साथ सिटी सेंटर क्षेत्र की स्थिति खराब है। सिटी सेंटर का एक्यूआई 144 और डीडी नगर का एक्यूआई 166 है। इससे फेफड़े, दिल और दमे से पीड़ित को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यही वजह है कि अस्पतालों में सांस लेने में दिक्कत और दमे से पीड़ित मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इस समय सबसे ज्यादा खराब स्थिति एजी आफिस कार्यालय के सामने चल रहे वर्षा जल निकासी कार्य के कारण बनी है। धूल की समस्या महज लोगों को वाहन चलाने में परेशानी की नहीं है, बल्कि लोग धूल से एलर्जी का शिकार भी हो रहे हैं। जेएएच और जिला अस्पताल में हो रही ओपीडी में हर दिन 10 फीसदी मरीज सांस से संबंधित बीमारी के होते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक ऐसे 60-70 मरीजों में 50 प्रतिशत अस्थमा के रेगुलर मरीज हैं, जबकि 30 से 35 नए मरीज हैं। लोगों को शहर में धूल से बचने के लिए मुंह पर कपड़ा बांधकर चलना चाहिए। शहर में धूल का प्रदूषण लोगों की सेहत बिगाड़ने के स्तर पर है। सड़क पर उड़ती धूल को प्रदूषण बोर्ड की भाषा में धूल के निलंबित कण(एसएससीएम) कहा जाता है। पीएम-10 व पीएम 2.5 का स्तर भी बढ़ रहा है। यह कण मानव के फेफड़ों में आसानी से प्रवेश कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार शहर में इसके चलते सर्दी व खांसी के केस लगातर बढ़ रहे हैं और लोग सूखी व लंबे समय तक सर्दी व खांसी की एजर्ली से परेशान है।

