
ग्वालियर। ट्रांसपोर्ट नगर बदहाल है। यहां पर न तो पीने का पानी है और न ही सड़क, सुरक्षा और सफाई के इंतजाम। यदि कुछ है तो गंदगी, कचरे के ढेर, उफनते सीवर और एक-एक फीट गहरे सड़क में गड्ढे। टीपी नगर की इस हालत के जिम्मेदार नगर सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक है, क्योंकि टीपी नगर की हालत किसी से छिपी नहीं है। विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने टीपी नगर की दुर्दशा पर खेद व्यक्त करते हुए चुनाव से पहले सड़क निर्माण की घोषणा की थी, इसके बाद निगमायुक्त हर्ष सिंह ने 15 दिन के भीतर सड़क निर्माण का आश्वासन दिया था, लेकिन चुनाव के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्थान पर मोहन सिंह यादव बने, जिन्होंने टीपी नगर पर ध्यान नहीं दिया तो अफसरों ने भी नजरें घुमा लीं।
ट्रांसपोर्ट यूनियन के अध्यक्ष राजीव मोदी का कहना है कि टीपी नगर की दुर्दशा को लेकर व्यापारी पार्षद से लेकर निगमायुक्त तक से गुहार लगा चुके हैं, यहां तक मुख्यमंत्री को पत्राचार भी किया। शहर के जनप्रतिनिधियों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने टीपी नगर की बदहाली पर ध्यान नहीं दिया और न ही कोई बात करना चाहता है। व्यापारी आशीष जैन का कहना है कि पूरा व्यापार टीपी नगर शिफ्ट हो चुका और वहां पर सुविधा हैं ही नहीं। टीपी नगर 2 से 5 किलोमीटर के दायरे में बसा हुआ है। जो सड़कें जीडीए ने डाली थीं वह गायब हो चुकी हैं। जिन रास्तों पर सड़क डाली थी अब वहां पर एक-एक फीट गहरे गड्ढे हैं। टीपी नगर में सीवर की लाइन चोक होने से जगह-जगह सीवर उफन रहे हैं। सीवर की गंदगी सड़कों पर बह रही है, जिसके कारण बदबू फैली रहती है। ट्रांसपोर्ट नगर भले ही दो से पांच किलोमीटर के दायरे में बस चुका है, लेकिन नगर निगम ने यहां पर सुलभ शौचालय बनवाने पर कभी ध्यान नहीं दिया।
टीपी नगर के व्यापारी भले ही करोड़ों रुपये का सालाना कर चुका रहे हैं, लेकिन उनके लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था नगर निगम नहीं कर सका। पूरे शहर में नल जल योजना पहुंच चुकी है, लेकिन टीपी नगर में नहीं है। इस कारण मजदूर से लेकर व्यापारी सब पानी खरीदकर ही पीते हैं। नगर निगम ने टीपी नगर की सड़कों पर वर्षा के बाद स्ट्रीट लाइट लगवाई। 200 स्ट्रीट लाइट स्वीकृत हुईं, जिसमें से 150 ही लगीं पर जलतीं केवल 25 ही हैं, इसलिए पूरे क्षेत्र में रात के समय अंधेरा रहता है। टीपी नगर में गंदगी, कचरे के ढेर लगे हुए हैं। जहां पर उफनते सीवर की बदबू के बीच व्यापार करना पड़ रहा है, जबकि गार्बेज शुल्क से लेकर संपत्तिकर समय पर व्यापारी जमा करते हैं। जीडीए को लीज रेंट भी देते हैं। सबसे अधिक कर चुकाने वाले टीपी नगर पर किसी का कोई ध्यान नहीं है।
ट्रांसपोर्ट नगर बदहाल: न पीने का पानी है, न ही सड़क और सफाई, सुरक्षा के इंतजाम

