
मध्यप्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अभी करीब चार वर्ष का समय है लेकिन प्रदेश कांग्रेस ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, भाजपा के चुनाव प्रबंधन के आगे कांग्रेस की तैयारी फीकी पड़ जाती हैं और उसे इसका नुकसान उठाना पड़ता है। इससे सबक लेते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह की अगुआई में राज्य स्तर पर चुनाव प्रबंधन इकाई गठित की है। उनसे कहा गया है कि अब वह प्रत्येक जिले में एक टीम तैयार करें, जो स्थानीय से लेकर लोकसभा चुनाव तक तैयारी की कमान संभाले।
चुनाव प्रबंधन का काम प्रदेश, जिला, ब्लाक, विधानसभा, ग्राम और वार्ड स्तर पर होगा। प्रदेश कांग्रेस के स्तर से इसकी निगरानी होगी और तिमाही समीक्षा की व्यवस्था रहेगी। दरअसल, कांग्रेस में चुनाव के छह माह पहले चुनाव प्रबंधन की दिशा में काम शुरू होता है। समितियां बनाई जाती हैं पर यह केवल औपचारिकता ही होती है। जबकि, भाजपा में यह काम निरंतर चलता रहता है। मतदान केंद्र स्तर पर मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटवाने के अलावा उनका डाटा लेकर संगठन के एप पर अपलोड करने सहित अन्य गतिविधियां चलती रहती हैं। यही कारण है कि चुनाव के समय भाजपा में कोई हड़बड़ाहट नजर नहीं आती। कांग्रेस भी यही कार्य पद्धति विकसित करने जा रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि हर स्तर पर चुनाव प्रबंधन का काम होगा। प्रदेश, जिला और सह प्रभारी इस काम के लिए पालक होंगे। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर वरिष्ठ नेता एक-एक विधानसभा क्षेत्र के पालक प्रभारी होंगे। पंचायत और वार्ड स्तरीय समिति मैदानी स्तर पर इस काम को देखेगी। हर जिले में इसके कार्यालय भी होंगे। प्रियव्रत सिंह का कहना है कि मतदाता सूची पर सर्वाधिक फोकस रहेगा। सूची की गड़बड़ी को लेकर चुनाव के समय लोग सक्रिय होते हैं, जबकि यह काम निरंतर होना चाहिए क्योंकि 70 प्रतिशत सूची चुनाव में यही रहती है। 30 प्रतिशत नाम जोड़े या हटाए जाते हैं। इसके साथ ही ग्राम और वार्ड स्तर पर बनने वाली समिति को इस काम में लगाया जाएगा।
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