परिवहन विभाग में फीस के बाद अतिरिक्त शुल्क देने पर ही मिलता है फिटनेस सर्टिफिकेट


ग्वालियर। परिवहन विभाग में इस समय कोई भी काम नियम से संचालित नहीं हो पा रहा है। इससे आमजन को अपने काम के लिए परेशान होना पड़ रहा है। साथ ही दलालों के हाथ में मुंहमागी राशि थमाना पड़ रही है। चिप कंपनी काम छोड़कर चली गई, लेकिन विभाग के आला अधिकारी इससे पूरी तरह से बेफ्रिक है। हैं। इसी तरह से आरटीओ के हाथों से वाहनों की फिटनेस छीनकर निजी हाथों में थमा दी गई है, जिसके चलते अब वाहन मालिकों को फीस के अलावा अतिरिक्त शुल्क देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस मामले को लेकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन जिन्होंने जांच करने का वादा किया था, वह दोनों ही अधिकारी विभाग से विदा हो चुके हैं, जबकि परिवहन आयुक्त महीनों से मुख्यालय नहीं आए हैं, ऐसे में अब शिकायत किससे की जाए, इसको लेकर शिकायतकर्ता परेशान हैं।
वाहनों की फिटनेस पहले आरटीओ विभाग के तहत की जाती थी। तब वाहन मालिक के सामने वाहन की फिटनेस कराई जाती थी, लेकिन उसके बाद भी अवैध वसूली की शिकायत होती रही जिसके चलते आरटीओ के हाथ से फिटनेस का काम वापस लेकर निजी कंपनी को देने केलिए आवेदन मंगाए गए थे। उसी के तहत ही अब निजी कंपनी वाहन फिटनेस का काम कर रही है। ग्वालियर में यह काम बेदांती फिटनेस सेंटर कर रहा है। जिसने रायरू के पास अपना फिटनेस सेंटर खोला हुआ है। अब हालत यह हैं कि फिटनेस सेंटर जाने पर वाहन मालिकों को बाहर ही रखा जाता है और उसके बाद निर्धारित फीस के अलावा अलग से शुल्क लिया जाता स्मार्ट तब कहीं जाकर फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। इस मामले की शिकायत करने के बाद तो कंपनी के कर्मचारियों ने रवैया ही बदल दिया है और जितनी राशि फिटनेस फीस की लगती है उतना ही शुल्क अलग से लेना शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि अगर कोई वाहन मालिक शुल्क देने से मना कर देता है उसके वाहन को फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता। ऐसी स्थिति में दोबारा फिटनेस करानी होती है तो फिर निर्धारित फीस अलग से देना पड़ती है जिसके चलते मजबूर होकर वाहन मालिक को कंपनी के कर्मचारियों की मांग को मानने के लिए विवश होना पड़ता है।
वाहन मालिक अब यह कहने लगे हैं कि पहले जब आरटीओ के तहत वाहनों की फिटनेस होती थी, वह व्यवस्था अब से बेहतर थी। लेकिन यह बेहतर अब याद आने लगा है, क्योंकि पहले तो उसी व्यवस्था को लेकर अवैध वसूली की शिकायतें की जाती थीं। वाहन यूनियन के एक पदाधिकारी ने बताया कि आरटीओ के तहत जब फिटनेस होती थी, तो कम से कम वाहन पर निगरानी रहती थी, लेकिन अब तो वाहन में क्या कमी है यह सिर्फ कंपनी वाले ही जानते हैं, क्योंकि अंदर किसी को नहीं जाने देते, यही कारण है कि कंपनी मनचाही कीमत फिटनेस प्रमाण पत्र को लेकर वसूल कर रहे हैं। वाहन यूनियन के पदाधिकारी अब जल्द ही भोपाल जाकर परिवहन मंत्री के सामने पूरे मामले को रखेंगे, साथ ही यह भी शिकायत करेंगे कि ग्वालियर में सिर्फ नाम का परिवहन मुख्यालय है क्योंकि परिवहन आयुक्त वहां अब जाते ही नहीं बल्कि भोपाल कैंप ऑफिस में ही बैठ काम कर रहे हैं।
फिटनेस कंपनी की अवैध वसूली को लेकर जब अपर परिवहन आयुक्त से शिकायत की गई थी तो उन्होंने एक ही सवाल किया कि आपके पास क्या प्रमाण है कि वह अवैध वसूली कर रहे हैं। इस पर वाहन यूनियन के एक पदाधिकारी ने कहा था कि अवैध वसूली की कोई रसीद नहीं मिलती जबकि हो अवैध वसूली रही है। शिकायत पर जांच करने केलिए कमेटी बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बाद दोनों ही अधिकारी विभाग से विदा हो गए, ऐसे में अब निजी कंपनी ने अपनी अवैध वसूली की रफ्तार तेज कर दी है, क्योंकि उस पर किसी का नियंत्रण नहीं है।