मिलावटखोरों का नेटवर्क मजबूत, अधिकारी सिर्फ सैंपल के खेल में लगे हैं

ग्वालियर। ग्वालियर के समीपवर्ती जिले भिंड मुरैना के मिलावटखोर इतने ज़्यादा बेधड़क हैं कि उन्हें सरकार और प्रशासन का तो क्या, भगवान तक का डर नहीं सता रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कार्रवाइयों के बाद भी मिलावट कारोबार बेखौफ अंदाज में चल रहा है। इन्होंने ग्वालियर को मिलावट का हब बना दिया है। खाद्य सुरक्षा प्रशासन के अधिकारी सैंपल-सैंपल के खेल में लगे हैं और इधर भिंड-मुरैना में बनने वाले मिलावटी मावा व पनीर की सप्लाई चोरी छिपे जारी है। यहां तैयार मावे को दिल्ली, महाराष्ट्र, अहमदाबाद व अन्य दूसरे राज्यों में ग्वालियर के रास्ते भेजा जा रहा है।
हर दिन एक से दो क्विंटल से अधिक मावा की सप्लाई ग्वालियर से दूसरे राज्यों को हो रही है। विभाग का मुखबिर तंत्र मजबूत न होने का फायदा मिलावटखोर लंबे समय से उठा रहे हैं। कुछ मामलों में सूचना मिलने पर खाद्य सुरक्षा प्रशासन कार्रवाई कर मावा पकड़ता है, लेकिन सिर्फ यह जानकारी मिल पाती है कि माल कहां से आया और कहां जाना है। माल भेजने वाले तक पहुंचना विभाग के लिए कठिन होता है। विभाग के अफसर कार्रवाई का दावा करते हैं, लेकिन कार्रवाई में सैंपल की संख्या ज्यादा है। बाहर से आने वाले मावा और पनीर पकड़े जाने के मामले कम। विभाग के मुखबिर तंत्र से ज्यादा मजबूत मिलावटखोरों का तंत्र है। यही वजह है कि वह मावा व पनीर को सुरक्षित बस-ट्रेन तक पहुंचा देते हैं। ऐसे में महीने में एक-दो बार ही खाद्य सुरक्षा प्रशासन मावा-पनीर पकड़ पाता है, जबकि हर दिन मावा की सप्लाई ग्वालियर से दूसरे राज्यों तक होती है।
समीपवर्ती जिलों से मिलावटी खाद्य पदार्थ की आवक न हो इसके लिए हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति ने नाकाबंदी कर निगरानी के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके नाकाबंदी प्रभावी नहीं है। ग्वालियर तक मावा पहुंच रहा है। इसके लिए बस, लोडिंग आटो का इस्तेमाल किया जा रहा है। खाद्य सैंपलों की जांच के लिए ग्वालियर में सालों से फूड लैब बन रही है लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। 2019 में इसका भूमिपूजन किया गया था लेकिन अब ढांचा तैयार होने के बाद मशीनें शुरू नहीं हो सकी हैं। ऐसे में सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजने पड़ते हैं। अगर अब विभाग ने सैंपल लिए तो जांच दीपावली बाद आ पाएगी। दीपावली त्यौहार के चलते जहां मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं वहीं आठ खाद्य सुरक्षा अधिकारियों में से पांच की ड्यूटी औषधि निरीक्षक के साथ लगा दी गई है। ऐसे में खाद्य पदार्थों के सैंपल की जांच प्रभावित होगी।