
ग्वालियर। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते एक हजार बिस्तर का अस्पताल बीमार है। उम्मीद थी कि अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के बीच उपचार मिलेगा, लेकिन हालात इसके उलट हैं। अस्पताल को खुद के उपचार की दरकार है।
सीवर के चैंबर चोक होकर ओवरफ्लो हो रहे हैं वहीं दीवारों से पानी का रिसाव तक नहीं रुक रहा है। हर तरफ गंदगी और दुर्गंध न केवल मरीज बल्कि डाक्टरों को परेशान किए है। अफसोस इस बात का है कि अधिष्ठाता से लेकर अधीक्षक तक सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर रहे हैं। सब जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। सात माह पहले कार्यकारिणी की बैठक में सीवरेज का मामला उठ चुका है, लेकिन अब तक इस मामले का निराकरण नहीं किया है।
कार्यकारिणी की बैठक में चिकित्सालय भवन में सीवर की समस्या के निराकरण के लिए नवीन पाइप डलवाने, सफाई कराने के लिए स्वशासी मद से प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था, लेकिन समिति ने निर्णय लिया कि सीवर समस्या के निराकरण के लिए नगर निगम द्वारा सीवरेज सिस्टम को स्मार्ट सिटी के अमृत योजना के तहत मुख्य सिस्टम में जोड़ने संबंधित कार्य की डीपीआर एक माह में तैयार की जाएगी, लेकिन डीपीआर अब तक तैयार नहीं हो सकी। न ही अस्पताल प्रबंधन ने इस पर ध्यान दिया। इससे अस्पताल में सीवरेज सिस्टम ध्वस्त पड़ा है।
एक हजार बिस्तर अस्पताल के पिछले हिस्से में जगह-जगह दीवारों से शौचालयों का पानी टपक रहा है। इतना ही नहीं सीवर चैंबर चोक होने पर चिकित्सा छात्रों के साथ डाक्टरों को वाहन मजबूरी में यहां पार्क करने पड़ते हैं। हर रोज यहां इस तरह का आलम रहता है, जबकि इस रास्ते में अस्पताल अधीक्षक से लेकर अस्पताल प्रबंधक, उप अधीक्षक से लेकर सीनियर चिकित्सक तक गुजरते हैं, लेकिन चैंबर से उफनता पानी और गंदगी किसी को नजर नहीं आती।

