शहर में अवैध निर्माण धड़ल्ले पर, निगमायुक्त क्यों नहीं करते भवन अधिकारियों को रिसफल?


नगर निगम में गाहे बजाहे काले पीले काम होते रहे है। इन काले पिले कामों को ढंकने के लिये कोई ना कोई कनेक्शन बना रहता है। ये कनेक्शन पूरा लेनदेन पर ही आधारित है। सबके अपने मुंह लगे अधिकारी है। वह एक दूसरे की जेब पूजा करते रहते है। अगर हम शहर में हो रहे अवैध निर्माण या बिना अनुमति के काटी जा रही कालोनियों की बात करें तो यह बिना निगम के अधिकारियों के संभव नहीं हैं। एक व्यक्ति नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि ये सारे अवैध निर्माण निगम के भवन अधिकारियों की पनाह पर ही होते रहते है। इसके लिये बकायदा लेनदेन होता है। भवन अधिकारी उपर तक पैसा पहुंचाने की कहते है। क्या इन भवन अधिकारियों पर लगाम नहीं लगाई जानी चाहिये। जिनके कारण शहर का माहौल बिगड़ता है और निगम पर उंगलियां उठती है। अब जब ग्वालियर में नये निगमायुक्त महोदय आये है तो उन्हें एक बार भवन अधिकारियों को जरूर रिसफल करके देखना चाहिये। शायद कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आये। क्योंकि लंबे समय से जमे ये अधिकारी सब सेंटिंग करके आगे चल रहे है। इससे इनके पास अकूत पैसा भी जमा हो गया है और वह नेतागिरी की धंसक में भी रहते है।