ग्वालियर में लाजिस्टिक्स की कमी, व्यापार की रफ्तार पर असर

(धीरज बंसल)
ग्वालियर| ग्वालियर में लाजिस्टिक्स की कमी है, इस कारण दिल्ली सहित दूसरे बड़े शहरों को इसके लिए चुनना पड़ता है। इस कारण व्यापार की रफ्तार पर भी असर पड़ता है। ग्वालियर के निवेश प्रोत्साहन केंद्र पर पहुंच रहे उद्यमियों ने यह समस्या भी सामने रखी है। उद्यमियों का कहना है कि इस समस्या को लेकर हल निकाला जाए तो ग्वालियर के उद्योगों को नई रफ्तार मिल सकती है।
वहीं अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों में जमे उद्यमियों की ओर से विस्तार की डिमांड भी पहुंच रही है। ग्वालियर में हुई रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के बाद उद्यमियों की समस्याओं पर फोकस किया जा रहा है। सीएम डा. मोहन यादव के निर्देश पर ग्वालियर-चंबल के सभी जिलों में प्रशासन की निगरानी में निवेश व प्रोत्साहन केंद्र तैयार किए गए हैं जिनमें ग्वालियर में बने केंद्र को भी रिस्पांस मिल रहा है। केंद्र में लगातार उद्यमी पहुंच रहे हैं और अपने कारोबार के विस्तार के लिए जमीन की डिमांड कर रहे हैं। हाल में ग्वालियर के बाराघाटा में पीवीसी शूज तैयार करने वाली यूनिट के संचालक नरेश मदान ने अपनी यूनिट का विस्तार करने की इच्छा जताई और अन्य भी पहुंचे।
लाजिस्टिक्स से तात्पर्य संसाधनों को प्राप्त करने, संग्रहित करने और उनके अंतिम गंतव्य तक ले जाने के प्रबंधन की समग्र प्रक्रिया से है। लाजिस्टिक्स प्रबंधन में संभावित वितरकों और आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना और उनकी प्रभावशीलता और पहुंच का निर्धारण करना शामिल है। लाजिस्टिक्स प्रबंधकों को लाजिस्टिशियन कहा जाता है। कलेक्टर रुचिका चौहान ने बताया कि उद्यमियों की समस्याओं को लेकर जिला प्रशासन की ओर से पूरी आउटलाइन बनाई जाएगी। किन-किन क्षेत्रों में क्या समस्याएं आ रहीं हैं इन्हें चिह्नित किया जा रहा है। इसके साथ ही तात्कालिक तौर पर होने वाली समस्याओं को पहले हल किया जाएगा।