
शहर के मुख्य मार्ग गड्ढों से भरे हुए हैं। तेज वर्षा और पानी की निकासी न होने के कारण सड़कें जर्जर हो चुकी है। पैच रिपेयरिंग भी काम नहीं आ रही है। इसके चलते शहर की कई धार्मिक संस्थाओं के माथे पर बल पड़े हुए हैं। हर साल गणेशोत्सव में सबसे बड़े गणपति की स्थापना का दावा करने वाली संस्थाएं फिलहाल मंथन में जुटी हैं कि इस बार सड़कों के गड्ढों को देखते हुए गणपति का आकार क्या रखा जाना उचित होगा।
गत वर्ष भी सड़कों के गड्ढों के कारण कई स्थानों पर बड़े आकार की गणेश प्रतिमाएं स्थापित नहीं हो सकी थीं। शिंदे की छावनी के नजदीक गड्ढों के कारण प्रतिमा फंसी रह गई थी। आगामी गणेशोत्सव के दौरान अचलेश्वर मंदिर पर 18 फीट, तो दौलतगंज में 22 फीट ऊंची गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जानी हैं लेकिन सड़कों की स्थिति को देखते हुए फिलहाल धार्मिक संस्थाओं के सामने विषम परिस्थिति खड़ी हुई है। ज्यादातर प्रतिमाएं जीवाजीगंज, लक्ष्मीगंज, बहोड़ापुर इलाकों में तैयार होती हैं। गोपाचल पर्वत के पास भी प्रतिमाएं तैयार होती हैं। ऐसे में सड़कों के गड्ढों के कारण मूर्तियां खंडित होने का खतरा है। बड़ी मूर्ति लाने के लिए ज्यादा व्यवस्थाएं जुटानी पड़ेंगी। सड़कों की हालत देखकर जीवाजीगंज से मंदिर तक प्रतिमा को कैसे लाएं, इस पर विचार किया जा रहा है। प्रतिमा की ऊंचाई 15 से 18 फीट के आसपास है। ऐसे में प्रतिमा को गड्ढों से नुकसान होने का खतरा है।

