मरीजों को सुविधाएं नहीं दे पा रहा सबसे बड़ा अस्पताल, पानी तक वार्ड में नहीं मिल रहा, जांचों के लिए दौड़भाग

ग्वालियर। अंचल का सबसे बड़ा अस्पताल जय आरोग्य। दिखने में बेहतर भले ही हो, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप मरीजों को सुविधाएं नहीं दे पा रहा है। आधी-अधूरी सुविधाओं के बूते सेहत की घुट्टी पिलाने की कोशिश की जा रही है, जबकि जहां रोजाना ढाई से तीन हजार मरीज बाह्य उपचार सेवा (ओपीडी) का लाभ हासिल करने आते हैं। साथ ही कुछ डाक्टर की सलाह पर भर्ती होते हैं, लेकिन उनको पानी तक वार्ड में नहीं मिल पा रहा है।
ब्लड जांच, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे जांचों के लिए स्वजन को सात मंजिला भवन में दौड़ भाग करना पड़ रही है। ऐसे में कोलकाता की घटना के बाद मरीजों के स्वजन पर बंदिश लगाने की कवायद परेशानी का कारण बन सकती है। अस्पताल प्रबंधन ने वार्ड में एक मरीज के साथ एक अटेंडेंट रुकने की योजना तैयार की है, जो सुविधाओं के अभाव में परेशानी का कारण बनेगा। दरअसल अस्पताल में स्ट्रेचर खींचने के लिए वार्ड बाय तक नहीं है। स्वजन को स्वयं ही स्ट्रेचर खींचना पड़ती है। पलंग से ब्लड कलेक्शन की व्यवस्था नहीं होने के कारण स्वजन को जांच के लिए सैंपल लैब तक भेजने पड़ते हैं। छठवीं मंजिल पर भर्ती एक महिला मरीज को एक्सरे जांच के लिए स्वजन स्ट्रेचर से ग्राउंड फ्लोर पर लेकर आए। रेडियोलाजी विभाग में उनको पहुंचना था, लेकिन उनको एक दरवाजा बंद मिला। इसके बाद घूमकर वह रेडियोलाजी पहुंचे। एक हजार बिस्तर अस्पताल में स्वजन को पीने के पानी के लिए जंग-सी लड़नी पड़ती है। पानी के लिए सात मंजिल से नीचे आना पड़ता है।