गुरु पूर्णिमा का पर्व सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा, करें गुरु पूजन

ग्वालियर। आषाढ़ मास की पूर्णिमा रविवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरु पूजन कर समार्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का खास महत्व है। गुरु ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक माने जाते हैं। इनकी संसार में बहुत बड़ी भूमिका होती है। गुरु इस संसार को ज्ञान देने का काम करते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर होता है। इस कारण जीवन में गुरु का होना बहुत ही जरूरी होता है। गुरु ही जीवन के अंधकार में प्रकाश भरता है। यह विशेष दिन स्नान-दान और गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का पूजन करते और उन्हें इस दिन की शुभकामनाएं देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन वेद व्यासजी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को वेद व्यासजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महर्षि वेद व्यास केवल महाभारत के ही रचयिता नहीं, बल्कि उन्होंने हिंदू धर्म के चारों वेदों की भी रचना की है। इसलिए उन्हें दुनिया का पहला गुरु कहा गया है और गुरु पूर्णिमा के दिन उनका विधि-विधान से पूजन किया जाता है। इस दिन सर्वर्थसिद्धि योग होने के कारण यह दिन शुभ व फलदायी माना गया है। साथ ही श्रवण नक्षत्र और प्रीति योग का भी निर्माण होगा। इसके अलावा विष्कुंभ योग प्रात: से लेकर रात्रि नौ बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
गुरु पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 20 जुलाई को शाम पांच बजकर 59 पर होगा और अगले दिन यानी 21 जुलाई को दोपहर तीन बजकर 46 मिनिट पर इसका समापन होगा। हिंदू धर्म में उदयातिथि में व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के लिए सुबह पांच बजकर 16 मिनिट से सात बजकर 14 बजे तक रहने वाला है। इसके साथ ही इस दिन गुरु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह सवा ग्यारह बजे से दोपहर एक बजकर 23 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना उत्तम होगा।