निगम के बेड़े में शामिल होंगे 61 नए वाहन

ग्वालियर। नगर निगम के अधिकारियों ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वर्तमान में निगम के पास सीमित मात्रा में संसाधन उपलब्ध हैं। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए लगभग 230 टिपर वाहन मौजूद हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर वाहन डीजल से चलते हैं। अब आचार संहिता समाप्त होने के बाद निगम के बेड़े में 61 नए वाहन शामिल होंगे। इसमें स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के बजट से 25 सीएनजी, 25 इलेक्ट्रिक टिपर और एक रिफ्यूज काम्पेक्टर खरीदकर नगर निगम को सौंपे जाएंगे। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण कंपनी को कार्यादेश जारी नहीं किया गया। वहीं नगर निगम द्वारा स्वयं पांच करोड़ रुपये के बजट से 10 नई रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी जाएंगी। वर्तमान में निगम के पास आठ रोड स्वीपिंग मशीनें मौजूद हैं। ऐसे में इन मशीनों की संख्या बढ़कर 18 हो जाएगी।
दरअसल, पिछले स्वच्छ सर्वेक्षण में नगर निगम की समग्र रैंकिंग में सुधार हुआ था। इसके साथ ही वाटर प्लस सिटी का दर्जा भी मिल गया था, लेकिन गार्बेज फ्री सिटी की सेवन स्टार रेटिंग की दावेदारी में निगम को सिर्फ थ्री स्टार ही मिल पाए थे। लैंडफिल साइट पर डंप कचरे और डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था ठीक नहीं होने को कारण माना गया था। ऐसे में नगर निगम को अतिरिक्त वाहनों की आवश्यकता पड़ रही थी। पिछले दिनों स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के बजट से वाहनों की खरीद का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे सीईओ नीतू माथुर ने स्वीकार कर भोपाल से स्वीकृति भी ले ली। इसके बाद टेंडर प्रक्रिया भी कर ली गई है। इसके अनुसार अब 2.86 करोड़ रुपये की लागत से 25 ई-टिपर, 1.98 करोड़ रुपये की लागत से 25 सीएनजी टिपर खरीदे जाएंगे। इसके अलावा 75.94 लाख रुपये की लागत से एक रिफ्यूज काम्पेक्टर भी दिया जाएगा।
नगर निगम के बेड़े में आधा सैकड़ा से अधिक वाहन तो शामिल हो जाएंगे, लेकिन ये सभी वाहन फील्ड में दौड़ेंगे, इस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। इसका पहला कारण है निगम की खराब माली हालत। खजाने में कमी के कारण डीजल में कटौती की जा रही है। हालांकि इन वाहनों को चलाने के लिए डीजल की जरूरत नहीं होगी, लेकिन ड्राइवर जरूरी होंगे। वर्तमान में निगम के स्वयं के टिपर वाहन चालकों की कमी से जूझ रहे हैं। डिपो पर चालकों के न पहुंचने के कारण बिना लाइसेंसधारी सुपरवाइजरों और गार्डों से टिपर वाहनों को चलवाया जा रहा है। ऐसे में आधा सैकड़ा नए ड्राइवरों की भर्ती भी चुनौती होगी।