
– कटोराताल रोड पर जालिय नक्काशी ने साथ छोड़ा और डिवाइडर भी टूटे, महाराज बाड़े पर सड़क पर से लाल पत्थर उखड़े
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ग्वालियर। विकास कार्य को लेकर हो हल्ला तो ऐसे मचता है कि मानों उसके पूरा होते ही शहर का स्वरूप बदल जाएगा, लेकिन जब काम शुरू होता है और पूरा होने की तरफ पहुंचता है तो देखकर ऐसा लगता है कि जिस काम पर भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है, उसका उपयोग सही तरीके से नहीं किया गया है। देश के कई शहर को स्मार्ट बनाने के लिए एक योजना लाई गई थी। स्मार्ट सिटी को काम कराने का जिम्मा दिया गया था।
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ग्वालियर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए एक हजार करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी उसका बदला हुआ स्वरूप दिखाई नहीं दे रहा है हालात यह हैं कि स्मार्ट सिटी के पैसों का उपयोग दूसरे काम में किया गया, जिसको लेकर कई बार सवाल उठे पर उसका जवाब फिल्हाल कोई देने को तैयार नहीं है। स्मार्ट सिटे के तहत कटोराताल रोड का स्वरूप बदला गया था। पत्थर लगाए गए थे, उनको हटाया गया, उसके बाद नए पत्थरों ने स्वरूप बदलने की कोशिश की गई लेकिन हालात यह हैं कि काम पूरा होने से पहले ही वहां जो जालिय नक्काशी वाली लगाई गई थीं उन्होंने तो साथ छोड़ना शुरू ही कर दिया है। साथ ही डिवाइडर भी कई जगह से टूट गया व क्रेक हे चुका है। यहां बता दें कि जब शहर में महापौर समीक्षा गुप्ता थीं, उस समय भी उस रोड की थीम को संवारने पर लाखों की राशि खर्च की गई थी। लाइटिंग में बेहतर की गईथी, लेकिन रखरखाव न होने के करण उक्त काम पूरी तरह से बिगड़ गया था। अब नए स्वरूप में लाने के लिए फिर करोड़ों की राशि खर्च की गई, लेकिन वह भी सुंदरता को कायम नहीं रख पा रही है। एक ही स्थान पर दो बार काम कराने पर जो राशि खर्च की गई, उसको लेकर कहा जाने लगा है कि यह पूरा खेल हलुआ की तर्ज पर हो रहा है, क्योंकि रखरखाव न होने पर हर काम साथ छोड़ जाएगा।
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वहीं महाराज बड़ा एक समय शहर का हृदय स्थल हुआ करता था। शहर के लोग तो वहां जाते ही है। साथ ही बाहर से आने वाले लोग भी उसे निहारने के लिए जाने से नहीं चूकते थे। अब रगार्ट शहर बनाने का जो काम किया गया, उसके बाद से ही महाराज बाड़ा अपनी पहचान बचाने के संकट से जूझ रहा है। बाड़े के पार्क के आसपास के क्षेत्र का सिकुड़ना यह बताने के लिए काफी है कि अब वहां का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है। सड़क पर लाल रंग के जो पत्थर बिछाए गए थे, वह कुछ दिनों में ही उखड़ गए। जो पत्थर उखड़े थे, वहां सीमेंट भर दिया गया है। इसी तरह विक्टोरिया मार्केट के सामने वाहनों की पार्किंग बनाकर सुंदर स्वरूप को बिगाड़ दिया गया है। स्मार्ट सिटी का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है, लेकिन जो सीमा निर्धारित की गई थी उसमें काम पूरा नहीं हो सका है। एक हजार करोड़ की राशि मिली, उसमें से 950 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन उसमें से काफी राशि दूसरे काम में खर्च किया जाना यह दिखाता है कि स्मार्ट सिटी के पैसे का किस तरह से दुरुपयोग किया गया है। काम ऐसा किया गया कि किसी को पता न चले और उनका हिसाब भी पूरा हो जए। जैसे कई पार्क ऐसे थे, जिनको पूरी तरह से नए स्वरूप में बनाया जाना था, लेकिन उसी पार्क पर रंग रोगन कर नए स्वरूप में बनाना दर्शा दिया गया। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने भी शिकायत की थी।
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