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शहर में नए कांग्रेस जिलाध्यक्ष के लिए हलचल तेज हो गई है। इसके लिए कई नेताओं के नाम सामने आए हैं, जो अपनी दावेदारी जताकर जिलाध्यक्ष बनने के लिए जोर लगा रहे हैं। वहीं राज्यसभा सांसद, विधायक और पूर्व विधायक भी अपने चहेतों को इस पद पर काबिज करने के लिए सक्रिय हो गए हैं और करीबियों के नाम संगठन के पास भेज दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अपने समर्थक पुराने कांग्रेसी को बैठाने में रुचि दिखा रहे हैं। वहीं लगातार दूसरी बार जिलाध्यक्ष पद संभाल रहे डॉ. देवेन्द्र शर्मा भी हैट्रिक बनाने के प्रयास में हैं। यह पद इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि दो विधायक और ग्वालियर महापौर कांग्रेस के हैं।
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डॉ. देवेन्द्र शर्मा वर्ष-2018 से लगातार शहर जिलाध्यक्ष हैं। उनका दूसरा कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। उनके कार्यकाल में पहली बार कांग्रेस का महापौर चुना गया और ग्वालियर शहर में दो विधायक जीते। इसलिए वे तीसरी बार मजबूती से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। जबकि कई नेता उनसे नाराज हैं और उन्हें हटाने के लिए जुट गए हैं। प्रदेश संगठन भी जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत करने व कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए मजबूत हाथों में कमान सौंपना चाहता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र नाती सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उनका नाम पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और जयवर्द्धन सिंह ने आगे बढ़ाया है। नाती पिछले एक साल से पार्टी में सक्रिय भी हो गए हैं। खबर है कि नाती मार्च के आखिरी सप्ताह में एक राजनीतिक कार्यक्रम भी कर रहे हैं, जिसमें कांग्रेस के बड़े नेता शामिल होंगे। विधायक डॉ. सतीश सिकरवार वैश्य समाज से राकेश अग्रवाल को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं। राकेश के लिए उन्होंने लॉबिंग भी शुरू कर दी है। पूर्व विधायक प्रवीण पाठक अपने करीबी इब्राहिम खां पठान को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत पार्टी के ही मुस्लिम नेता बन रहे हैं। लतीफ खां मल्लू लगातार बड़े नेताओं से मिलकर खुद के नाम की दावेदारी कर रहे हैं। उनकी पैरवी पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ल कर रहे हैं।
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राज्यसभा सांसद अशोक सिंह सुरेंद्र यादव के लिए प्रयास कर रहे हैं। वहीं संजय यादव का नाम भी दौड़ में हैं, लेकिन उनके साथ यह कमजोर पक्ष है कि लाखन सिंह यादव को पहले ही प्रदेश स्तर पर पद मिल चुका है। एक घर से दो पदाधिकारी बनाने का विरोध हो सकता है। वरिष्ठ नेता प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा का नाम भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में बताया जा रहा है। वर्तमान जिलाध्यक्ष ब्राह्मण हैं और फिर से ब्राह्मण को जिलाध्यक्ष बनाने से अन्य समाज का विरोध झेलना पड़ सकता है। वहीं सुनील शर्मा पर महिला द्वारा आरोप लगाने से भी उनकी दावेदारी कमजोर दिखाई दे रही है।
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