ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण की नाक के नीचे दुकानों की लूट?


(भास्करप्लस.काम)
100 वर्ष पुराना ग्वालियर व्यापार मेला अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिये मजबूर है। इस मेले को सिंधिया परिवार के मुखियाओं ने व्यापार की वृद्धि के लिये बसाया था, लेकिन यहां प्राधिकरण में राजनीतिक नियुक्ति न होने के कारण प्राधिकरण के अधिकारी कर्मचारी पूरी तरह से हावी है। इसी वजह से मेला कभी भी समय पर नहीं लग पाता है और न ही पूरी दुकानें उठ पाती यह सब प्राधिकरण में बैठे अधिकारी कर्मचारियों की सांठगांठ के कारण है। दुकानों को ब्लैक में बेचकर अपनी जेब भरने की जुगाड़ में रहने के कारण मेला दिन प्रतिदिन खरत की ओर जा रहा है। इसमें ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ जो स्वयंभू लोगों द्वारा बनाया गया है वो भी ब्लेकमेलिंग के धंधे में शामिल है। मिलीभगत से पूरे मेले की दुकानें, चबूतरे, कच्ची दुकानें इन सबका प्राधिकरण की नाक के नीचे ब्लेकमेलिंग का खेल खुलेआम चल रहा है। इसी कारण आधे से ज्यादा मेला खाली पड़ा रहता है, क्योंकि दुकानदारों से 7 हजार की दुकान के 1 लाख से लेकर डेढ़ लाख तक रूपये ब्लेक में मांगे जाते हैं। इसी वजह से बाहर से आने वाला व्यापारी भाग जाता है। पूरे मेले में दुकानें ब्लेक हो रही है। इसी वजह से प्राधिकरण के अधिकारी, कर्मचारी और मेला व्यापारी संघ की पौबारह होरही है। सरकार को इस ओर संज्ञान लेना चाहिये…
–खबरीलाल–
धीरज बंसल
भास्करप्लस.काम
ग्वालियर