
ग्वालियर। आठ वर्ष पहले 2016 में परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति पर भर्ती हुये सौरभ शर्मा की नियुक्ति पर ही अब सवाल उठने लगे है। सूत्र बताते है कि उसके पिताजी तो सेंट्रल जेल में डॉक्टर थे फिर उनके निधन के बाद आखिर सौरभ को परिवहन में कैसे नियुक्ति मिल गई यह तो जांच का विषय है? वहीं बेहिसाब बेनामी संपत्ति का मालिक अभी परिवार समेत दुबई में है। परिवहन विभाग में मामूली से आरक्षक पद से इस्तीफा देकर काली कमाई का कुबेर बने सौरभ के घर और गाड़ी से करोड़ों की नकदी और 54 किलो सोना मिलने पर जांच एजेंसियों के होश उड़ गए हैं।
लोकायुक्त और आयकर की छापेमारी में इतना बड़ा माल एक साथ नहीं मिला, यह दावा किया गया है। ग्वालियर से अपने कामकाज को शुरू करने वाले सौरभ शर्मा ने पहले परिवहन विभाग के उच्च अफसरों का खास बनने में देर नहीं की और इसके बाद मंत्रियों और नेताओं की गोद में जाकर बैठ गया। रियल स्टेट कारोबार से लेकर होटल व्यवसाय, अलग-अलग क्षेत्रों में वह उतर गया। भोपाल के सत्ता के गलियारों में भी उसकी बड़ी पैठ हो गई। बताया जा रहा है कि जो इतना माल सौरभ के यहां बरामद हुआ है, वह अकेले उसका नहीं। ग्वालियर के विनय नगर सेक्टर दो में मुख्य मार्ग पर सौरभ शर्मा का आलीशान मकान है। सौरभ का परिवार एक प्रदेश के कद्दावर नेता का करीबी रहा है। सौरभ की मां उमा शर्मा भी एक राजनीतिक दल से जुड़ी रहीं ही। पत्नी दिव्या तिवारी शर्मा पहले थंप डांस अकादमी चलाती थीं और सिटी सेंटर में एक स्कूल में टीचिंग करती थीं। परिवार में एक भाई गौरव शर्मा और है, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लोक सेवक के रूप में कार्यरत है। पिता डॉ. आरके शर्मा सेंट्रल जेल में डॉक्टर थे और लगभग आठ साल पहले ह्रदय रोग के कारण उनका निधन हो गया था। सिटी सेंटर ग्वालियर की उस बड़ी इमारत में जहां पब व अन्य गतिविधियां चलती हैं, वह सौरभ की है। आयकर विभाग की कार्रवाई में 54 किलो सोना व नौ करोड़ 86 लाख रुपये मिलने पर सुर्खियों में आए परिवहन विभाग के आरक्षक सौरभ शर्मा के नजदीकी संबंध सत्ता के नुमाइंदों से रहे है। परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत का कहना है कि इसकी जांच होनी चाहिए। वहीं सौरभ शर्मा के पास मिली अकूत संपत्ति को लेकर कांग्रेस ने परिवहन विभाग में बड़े भष्ट्राचार का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। इस मामले में कांग्रेस मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी में है।

