
कालरा अस्पताल ने निशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर के माध्यम से मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले आठ मरीजों की रोशनी छीन ली है। यह निशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर बीती 9 दिसंबर को गोरमी के कृपे का पुरा में लगा था। इस शिविर में आपरेशन कराने वाले आठ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है। जिसके बाद अस्पताल के चिकित्सकों की काबिलियत पर सवाल खड़ा हो गया है। वहीं प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने अभी लापरवाह अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों तक कोई कार्रवाई नहीं की है। इसको लेकर पीडितों में गुस्सा है और वह मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक शिकायत कर रहे है।
यहां बता दें कि गोरमी के कृपे का पुरा में सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल परिसर में नौ दिसंबर को लगाए गए निशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले आठ मरीजों को दिखना बंद हो गया है। ग्वालियर के कालरा हॉस्पिटल में ऑपरेशन किया गया था। शिविर खत्म हो जाने के बाद चिह्नित मरीजों को कालरा हॉस्पिटल यूनिवर्सिटी रोड थाटीपुर ग्वालियर में ले जाकर ऑपरेशन किया गया। बीते रोज मरीज और उनके स्वजन डॉक्टरों की शिकायत लेकर गोरमी थाने पहुंचे। उनका कहना है कि ऑपरेशन के बाद जब हमने डॉक्टर से आंख से दिखाई न देने की बात कही तो उन्होंने आंख में ड्राप डालने की बात कहकर अनसुना कर दिया। पहले तो हमें आंख से थोड़ा बहुत दिखाई भी देता था, लेकिन अब बिल्कुल दिखना बंद हो गया है। गोरमी के रामनाथ कॉलेज में भृत्य चपरा निवासी चिरौंजी लाल सखवार का कहना था कि उसने डॉक्टर से कहा कि दाहिने आंख से कम दिखता है, इसी का ऑपरेशन होना है, लेकिन डॉक्टर ने बाईं आंख का ऑपरेशन कर दिया। ऐसे में अब दोनों ही आंखों से दिखना बंद हो गया है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ऑपरेशन के बाद मरीजों को कुछ दिन धुएं से दूर रहने व अन्य सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, हो सकता है इन मरीजों ने सावधानी न बरती हो। बताया जाता है कि कालरा हॉस्पिटल के तत्वावधान में आयोजित शिविर में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित कालरा, डॉ. अजय शर्मा और उनकी टीम ने 50 मरीजों की आंखों की जांच कर आठ को ऑपरेशन के लिए चिह्नित किया था।
इन मरीजों की गई रोशनी
चिरौंजी लाल संखवार (60), राजवीर सिंह (45), चुन्नी बाई (65), भागीरथ (70) यह सभी चपरा के निवासी, भूरीबाई (58) डोंगरपुरा, चमेलीबाई (60) निवासी ग्वालियर विक्रमपुरा महाराजपुरा।

