स्कूली बसों की फिटनेस की किसी को चिंता नहीं, हादसे के बाद जागता है आरटीओ

(धीरज राजकुमार बंसल )
ग्वालियर। ग्वालियर में स्कूली बसों की फिटनेस की किसी को चिंता नहीं है। आरटीओ से लेकर जिला प्रशासन सब अपनी ढपली अपना राग अलापते है, परंतु स्कूल जाने वाले बच्चे सुरक्षित रहे इसके लिये अब तक बसों की फिटनेस पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहे। अगर कभी बस के साथ कोई हादसा होता है तो आरटीओ और प्रशासन बस दिखावे की कार्रवाई खानापूर्ति कर लेता है और अपनी फिट बसों को चैकिंग के समय चलाने से पहले ही ना चलाने की सूचना आपरेटरों को दे दी जाती है जिससे वह किसी कार्रवाई के शिकंजे में ना फंसे। यह सबस लेनदेन पर आधारित रहता है। लेकिन इसमे बच्चे और उनके अभिभावक पीसते नजर आते है।
शहर में करीब आठ सैकड़ा से अधिक स्कूल बसें संचालित होती हैं। स्कूल बसों की फिटनेस को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि दुर्घटना होने पर ही फिटनेस चेक की जाती है। अगर माह में दो बार स्कूल बसों के दस्तावेज चेक कर लिए जाएं तो यह पता चल सकेगा कि किसके इशारे पर बिना फिटनेस बसें संचालित हो रही हैं। स्कूल बसों की नियमित जांच करने का फरमान परिवहन आयुक्त ने दिया हुआ है, लेकिन उसके बाद भी दुर्घटना होने के बाद ही जांच की याद आती है। शहर में स्कूल बसों से एक नहीं बल्कि कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं और कुछ माह पहले एक छात्रा की मौत भी हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी स्कूल बसें पूरी तरह से फिट हैं कि नहीं, उसकी जांच करने की जरूरत महसूस नहीं की गई। शहर में स्कूल बसों के साथ ही चेक पॉइंट पर सेटिंग का खेल चल रहा है और अगर कभी जांच करने की जरूरत पड़ती भी है तो सिर्फ दिखावा किया जाता है। बिना फिटनेस की बसों को उस दिन संचालन करने की मनाही कर दी जाती है। स्कूल बसों में बच्चों का सफर सुरक्षित हो उसके लिए स्पीड गर्वनर तो लगाए ही गए थे, साथ ही रूट भी तय किए हुए हैं, लेकिन लंबे समय से स्पीड गवर्नर की चेकिंग नहीं की गई है, जिसके चलते स्कूल बसें सड़कों पर रफ्तार पकड़ते हुए देखी जा सकती हैं। स्पीड गवर्नर लगने से बस की गति सीमित रहती है, लेकिन चालक उस यंत्र को रफ्तार तेज करने के लिए हटा देते हैं। अभी तक स्कूल बसों की जांच का जिम्मा फ्लाइंग स्क्वॉड प्रभारी के हाथ में था, जिसके चलते उनका खेल अलग ही चल रहा था। अब फ्लाइंग स्क्वॉड प्रभारी विनीत गुप्ता का तबादला हो गया है, जिसके चलते अब आरटीओ ने कमान अपने हाथ में ले ली है।
वहीं जो रूट निर्धारित किए गए हैं, उसको भी छोड़कर चालक बसों को तेज गति से दौड़ाते देखे जा सकते हैं। कैंसर पहाड़ी से होकर बड़े वाहनों का निकलना पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन चालक उसी रूट से बसों को निकालते देखे जा सकते हैं और उसका खुलासा एक दुर्घटना होने पर हुआ था। वैसे उक्त कैंसर पहाड़ी के रास्ते से बड़े वाहन न निकल सकें उसके लिए शिवपुरी लिंक रोड से चढते समय लोहे के एंगल लगाए गए थे, लेकिन रेत व गिट्टी वाले वाहनों के निकलने केलिए उक्त एंगल को निकाल दिया गया, जिसके चलते स्कूल बसें तो निकलती ही हैं, साथ ही भारी वाहन भी निकलते हैं। यही रास्ता पुलिस के लिए कमाई का जरिया बना हुआ है । अगर स्कूल बसों के दस्तावेज माह में दो बार चेक किए जाएं तो खुलासा हो जाएगा कि कितनी बसें पूरी तरह से फिट हैं। आरटीओ विक्रमजीत सिंह कंग ने स्कूलो में बसों के संचालन का काम देखने वालों को सख्त हिदायत दी है कि बसें पूरी तरह से फिट हैं कि नहीं यह देखना आपका काम है और सुप्रीम कोर्ट ने जो गाइडलाइन तय की है, उसका पालन हर हाल में होना चाहिए। आरटीओ कंग ने कहा कि चालकों की आंखों की जांच के लिए कैंप लगाया जाएगा, उसमें आंखों की जांच कराई जाएगी। कम दिखने वाले चालकों को तत्काल बस की ड्राइवरी करने से हटा दिया जाए। आरटीओ ने कहा है कि कोई भी स्कूल बस एलपीजी से संचालित न हो, क्योंकि अब स्कूल बसों की चेकिंग नियमित रूप से की जाएगी।