भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बन गई स्वर्ण रेखा, संकट में अस्तित्व

(पंकज राजकुमार बंसल)
ग्वालियर। शहर के बीचों बीच से होकर निकलने वाली स्वर्ण रेखा नदी को कभी शहर की जीवन रेखा माना जाता था, लेकिन समय के साथ ही यह नदी भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बन गई और उसके चलते कई ऐसे काम कराए गए जिसकी उपयोगिता न के बराबर थी। स्वर्ण रेखा नदी को लेकर अभी तक 423 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी हालात यह है कि उसमें 84 सीवर व नाले जोड़ दिए गए हैं जो नदी के पानी को पूरी तरह से बदबूदार बनाएं हुए है। स्वर्ण रेखा नदी सिंधिया रियासत के दौरान बनाई गई थी। जिसे लंदन की टेम्स नदी की तर्ज पर बनाया गया था। स्वर्ण रेखा नदी के कामों को लेकर हुए भ्रष्टाचार की शिकायतें अब प्रदेश की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक पहुंच गई है।
स्वर्ण रेखा नदी का उद्गम हनुमान बांध से हुआ है, जो करीब साढ़े तेरह किमी लंबाई में शहर के बीच से निकलती है। इस नदी से कभी शहर का पानी का स्तर काफी ऊपर रहता था, लेकिन अब उसके नीचे सीमेंट्रेट परत कर देने से पानी जमीन में जाने की जगह सीधा बाहर निकल जाता है जिसके कारण पानी की रीचार्ज होना ही बंद हो गया और यह काम लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में कराया गया था। इस नदी को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि लोगों को साफ पानी मिल सके, ताकि उनकी प्यास बुझाई जा सके। लेकिन सरकार की निष्क्रियता और स्थानीय नेताओं की पैसे की चाहत ने इस नदी को पूरी तरह नाले में तब्दील कर दिया।
स्वर्ण रेखा नदी के नाम पर कई प्रयोग किए गए जिस पर करोड़ों की राशि खर्च की गई, लेकिन नदी की हालत में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया। हालात यह है कि नदी में पानी की जगह गंदा नालों का पानी बह रहा है जिससे पूरा शहर बदबू से परेशान है। अब स्थिति यह है कि नदी का अस्तित्व ही खतरे में है और इसका सबसे बड़ा कारण है कि स्वर्णरेखा नदी पर एलिवेटेड रोड बनाई जा रही है। एलिवेटेड रोड बनने के बाद नदी पूरी तरह कंक्रीट व सीमेंट से पट जाएगी. जिसके बाद इस नदी का इतिहास सिर्फ किताबों में ही देखने को मिलेगा। अब स्थिति यह है कि नदी की चैड़ाई ही काफी कम हो गई है, क्योंकि उसके दोनों तरफ अतिक्रमण हो चुका है जिसको देख तो सभी अधिकारी रहे हैं, लेकिन हटाने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा है। एक तरह से कह सकते हैं कि सिंधिया रियासत काल के समय जो सपना स्वर्ण रेखा नदी का देखा था, उसे अब पूरी तरह से भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बनाकर बर्बाद कर दिया है।