
ग्वालियर मेला मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हर साल आयोजित होने वाला एक प्रमुख व्यापारिक मेला है। इसे “ग्वालियर व्यापार मेला” भी कहा जाता है और यह उत्तर भारत के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मेलों में से एक है। यह मेला आमतौर पर दिसंबर के अंत से फरवरी के बीच आयोजित किया जाता है और करीब दो महीने तक चलता है।
मेले की विशेषताएं
1. व्यापार और शॉपिंग: ग्वालियर मेला एक प्रमुख व्यापारिक हब है, जहाँ कपड़े, जूते, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, और कृषि उपकरण जैसी वस्तुएँ मिलती हैं। व्यापारी और खरीदार इस मेले में बड़े पैमाने पर खरीददारी करते हैं।
2. मनोरंजन: मेले में झूले, जादू के शो, सर्कस, और लाइव कंसर्ट्स जैसी मनोरंजन गतिविधियाँ भी होती हैं। यह स्थानीय लोगों के लिए एक पारिवारिक आयोजन होता है जहाँ बच्चे और बड़े सब आनंद लेते हैं।
3. खान-पान: इस मेले में विभिन्न प्रकार के खाने-पीने के स्टॉल्स होते हैं, जिसमें स्थानीय व्यंजनों के साथ ही चाट, समोसा, जलेबी जैसे पारंपरिक भारतीय व्यंजन मिलते हैं।
4. पशु मेला: ग्वालियर मेले में पशुओं का मेला भी लगाया जाता है जहाँ किसान और व्यापारी अपने पशुओं का आदान-प्रदान और खरीद-बिक्री करते हैं।
5. सांस्कृतिक कार्यक्रम: मेले में स्थानीय लोक नृत्य, संगीत और थिएटर का प्रदर्शन भी होता है, जो मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है।
इतिहास और महत्व
ग्वालियर मेला लगभग 1905 में महाराजा माधवराव सिंधिया द्वारा शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देना था। तब से यह मेला हर साल आयोजित होता आ रहा है और अब यह पूरे भारत के लोगों को आकर्षित करता है।

