
ग्वालियर। नगर की आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र अचलेश्वर मंदिर के निर्माण के लिए तीन करोड़ से अधिक की चढ़ौत्री की राशि खर्च होने के बाद सात वर्ष बाद पूर्ण नहीं हो पाया है। जबकि श्रावण मास में आधे-अधूरे निर्माण कार्य का लोकार्पण भी कर दिया गया था। अधूरे निर्माण को लेकर श्रद्धालुओं में बढ़ते आक्रोश को ठंडा करने के लिए दो दिन पहले शिखर पर कलश की स्थापना कर फिर से कान्ट्रेक्टर गायब हो गया है।
दूसरी तरफ मंदिर के गर्भगृह में तीन और खंभों पर चांदी के पत्रा पर नौ ज्योर्तिलिंग की स्थापना कार्य भी चांदी के अभाव में अटक गया है। अभी केवल एक खंभे पर चांदी का पत्रा चढ़कर तीन ज्योर्तिलिंग की स्थापना हुई है। लंबे समय से ट्रस्ट में उपजे विवाद के कारण वर्ष 2017 में अचलेश्वर मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था। जिलाधीश ने कोर्ट की गाइड लाइन पर मंदिर संचालन के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश उच्च न्यायालय एनके मोदी की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी। इस समिति जिला प्रशासन, नगर निगम व पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी है। इन लोगों को मंदिर के व्यवस्थित संचालन में कोई रुचि नजर नहीं आ रहा है। यही कारण है कि मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है। अब बिजली, मंदिर की पहली मंजिल पर फ्लोरिंग और जलाभिषेक में उपयोग किये जाने वाला गंगाजल, दूध-दही, शहद सहित अन्य सामग्री सीधे सीवर लाइन में जाने से रोकने के लिए कार्य अटक हुआ है और मंदिर पर बैनर अचलनाथ लोक के निर्माण का लगा हुआ है। मंदिर संचालन समिति ने श्रद्धालुओं को चांदी दान करने को प्रोत्साहित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किये हैं।अब तक चांदी दान में लेने के लिए मंदिर में एक बैनर तक नहीं लगाया गया है। श्रद्धालुओं को पता ही नहीं है कि मंदिर को चांदी की आवश्यकता है।

