आदर्श गोशाला में अध्ययन के लिए विदेश से आते हैं प्रतिनिधि मंडल

ग्वालियर। कभी गोमाता की मौतों के लिए बदनाम ग्वालियर की लाल टिपारा गोशाला में सात साल पहले हरिद्वार के संतों ने प्रबंधन संभाला तो शोधार्थियों और बी-स्कूल के छात्रों के अध्ययन का केंद्र बन गई है। पिछले एक वर्ष में अमेरिका,जर्मनी, बैल्जियम,यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका का प्रतिनिधि दल गो-शाला का प्रबंधन देखने के लिए आ चुका है। प्रबंधक श्रीकृष्णायन गोरक्षशाला हरिद्वार ऋषभदेवानंद महाराज ने बताया आदर्श-गोशाला लाल टिपारा व्यवस्थित गो-प्रबंधन के कारण देश में नहीं विदेश में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। पिछले एक वर्ष में अमेरिका,जर्मनी, बैल्जियम,यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधि गो-शाला का प्रबंधन देखने के लिए आ चुके हैं। शहर और आसपास के क्षेत्रों बड़ी संख्या में लोग यहां जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, पुण्यतिथि पर गोसेवा के लिए आते हैं।


यही नहीं प्रशिक्षु आइएएस के तीन दल यहां का दौरा कर चुके हैं। जीवाजी विश्वविद्यालय सहित तीन विश्वविद्यालयों के साथ अध्ययन के लिए मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन हो चुका है। हाल ही में भारत पेट्रोलियम ने यहां गाय के गोबर से सीएनजी प्लांट शुरू किया है। जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले माह वर्चुअल तरीके से किया। जल्द ही सीएनजी का व्यवसायिक उपयोग आरंभ हो जाएगा तो गोशाला आत्मनिर्भर हो जाएगी। मुरार में लाल टिपारा के 100 एकड़ से अधिक भू-भाग पर नगर निगम अपना खिरक संचालित करती थी। यहां सड़क से आवारा गोवंश को पकड़कर जेलखाने की तरह रखा जाता था। औसतन हर रोज 20 से 25 गायों की मौत होती थी। बारिश के मौसम में यह संख्या 50 से अधिक हो जाती थीं। खराब प्रबंधन के कारण एक-एक फीट गोबर में गो-वंश के पैर धंसे रहते थे और भूख प्यास गोवंश के मौत का प्रमुख कारण था। न्यायालय के बार-बार फटकार लगाने के बाद नगर निगम ने गोशाला का प्रबंधन वर्ष 2017 में हरिद्वार के श्रीकृष्णायन गोरक्षशाला के संतों को सौंप दिया। पिछले सात वर्ष गोशाला की तस्वीर बदल गई है। यहां करीब 10 हजार निराश्रित गो-वंश की देखभाल की जाती है।