आइसीयू में हुए अग्निकांड के बाद भी जिम्मेदार लापरवाह, आपातकालीन निकास ही नहीं


ग्वालियर। जेएएच के ट्रामा सेंटर आइसीयू में हुए अग्निकांड के बाद भी जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं। ट्रामा सेंटर से लेकर न्यूरोलाजी-न्यूरोसर्जरी, कार्डियक सेंटर असुरक्षित हैं। कारण यहां आपातकालीन निकास के रास्ते निर्धारित नहीं है। इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन ने ट्रामा सेंटर का मुख्यद्वार तक बंद कर रखा है। आकस्मिक उपचार केंद्र के लिए जाने वाले रास्ते को मुख्य द्वार के तौर पर खोल गया है। न्यूरोलाजी-न्यूरोसर्जरी के साथ कार्डियक सेंटर तक में किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में आसानी से निकलने के लिए आपातकालीन निकास तक नहीं है।
संभाग आयुक्त ने अस्पताल में आपातकालीन निकास के रास्ते अलग से निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद नईदुनिया ने आपातकालीन निकास को लेकर पड़ताल की, तो सामने आया कि न्यूरोलाजी-न्यूरोसर्जरी अस्पताल में दो प्रवेश द्वार के अलावा आपातकालीन निकास की व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं सुबह नौ बजे से दोपहर एक बजे तक एक प्रवेश द्वार और दोपहर दो बजे के बाद दूसरा प्रवेश द्वार बंद रहता है। ऐसे में एक ही द्वार से मरीज व उनके स्वजन का आना-जाना रहता है। इधर कर्डियक सेंटर में प्रवेश और निकास के लिए भी एक ही द्वार है। ट्रामा सेंटर के मुख्य प्रवेश द्वार को मरीजों की सुविधा का हवाला देते हुए अस्पताल प्रबंधन ने बंद कर दिया। यह प्रवेश द्वार लंबे समय से बंद है। यहां मरीजों को भर्ती किया जाता है। अस्पताल प्रबंधन ने वर्तमान में जो द्वार खोल रखा है, वह काफी छोटा है। एंबुलेंस से आने वाले मरीजों को भी चक्कर लगाकर ट्रामा सेंटर में जाना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने आकस्मिक उपचार केंद्र का मुख्य द्वार भी बंद कर रखा है। प्रवेश द्वार के बंद होने के कारण मरीजों को ट्रामा सेंटर की गैलरी से होते हुए आकस्मिक उपचार केंद्र तक पहुंचना पड़ता है। इसके बंद रहने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।