
ग्वालियर। रक्षा बंधन का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस वर्ष भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। 19 अगस्त को भद्रा के कारण राखी बांधने का मुहूर्त दोपहर में है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर डेढ़ बजे से रात्रि 09:07 तक रहेगा। कुल मिलाकर शुभ मुहूर्त सात घंटे 37 मिनट का रहेगा। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आरंभ-दोपहर एक बजकर से 30 मिनिट से शुरु होकर रात नौ बजकर सात मिनिट तक रहेगा।
वैदिक ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भारतीय संस्कृति में श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन पर्व भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है। वैदिक रक्षासूत्र बांधने की परम्परा तो वैदिक काल से रही है, जिसमें यज्ञ, युद्ध, आखेट, नये संकल्प और धार्मिक अनुष्ठान के आरम्भ में कलाई पर सूत का धागा (मौली) बांधा जाता है। सब कुछ देकर त्रिभुवनपति को अपना द्वारपाल बनाने वाले बलि को लक्ष्मीजी ने राखी बांधी थी। राखी बांधनेवाली बहन अथवा हितैषी व्यक्ति के आगे कृतज्ञता का भाव व्यक्त होता है। राजा बलि ने पूछा : “तुम क्या चाहती हो?” लक्ष्मीजी ने कहा : “वे जो तुम्हारे नन्हे-मुन्ने द्वारपाल हैं, उनको आप छोड़ दो।” भक्त के प्रेम से वश होकर जो द्वारपाल की सेवा करते हैं, ऐसे भगवान नारायण को द्वारपाल के पद से छुड़ाने के लिए लक्ष्मीजी ने भी रक्षाबंधन-महोत्सव का उपयोग किया। शचि ने इन्द्र को राखी बांधी तो इन्द्र में प्राणबल का विकास हुआ और इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की।
दुर्वा, चावल, केसर, चंदन, सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें, यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेटकर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी। वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाए तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है। रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि च्जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आएज्।

