
ग्वालियर। व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस अब आटोमेटिक सिस्टम से शुरू होने के बाद उन वाहनों की मुसीबत बढ़ गई है जो अनफिट होकर भी फिटनेस हासिल कर लेते थे। अब आटामेटेड सिस्टम के तहत ऐसे वाहनों के मालिक आनलाइन स्लाट तो बुक कर रहे हैं लेकिन स्लाट को री-शेडयूल कराना पड़ रहा है। इसके पीछे कारण यह कि आनलाइन बुकिंग के बाद जब वाहन पहुंचता है तो वह अनफिट पाया जाता है तो ऐसे में फिटनेस सर्टिफिकेट सिस्टम नहीं दे सकता। वाहन को दुरूस्त कराने के लिए लौटते जाते हैं और स्लाट को री-शेडयूल करवाके आना पड़ता है। अभी तक चार से पांच वाहनों को फिटनेस दी गई है, जबकि आरटीओ का सेंटर जब चालू था तो यहां फोटो खिंचते ही फिटनेस मिल जाती थी।
प्रदेश के ग्वालियर, इंदौर और भोपाल में व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस अब मशीनों से शुरू की गई है। 15 जुलाई से प्रदेश के तीन शहरों में यह व्यवस्था लागू हो गई है। तीनों शहरों में एक ही कंपनी वेदांत को आटोमेटिक फिटनेस का काम मिला है। इसके लिए निर्धारित स्थान तय होगा जहां वाहनों की फिटनेस की जाएगी। ग्वालियर में यह रायरू पर तय किया गया है। परिवहन विभाग ने ग्वालियर में कार्यालय पर जो फिटनेस सेंटर था उसे बंद कर दिया गया है. अभी तक वाहन की फोटो खींचकर फिटनेस के नाम पर खानापूर्ति की शिकायतें ज्यादा सामने आतीं हैं और इसके मापदंडों का भी पूरी तरह पालन नहीं होता है। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने स्वचलित फिटनेस सेंटर खोलने लिए सिंतबर 2021 में अधिसूचना जारी की थी। इसी अधिसूचना के तहत मध्य प्रदेश में 11 स्वचलित फिटनेस केंद्र खोले जाने की जानकारी दी गई थी। वर्तमान में परिवहन कार्यालय में संचालित फिटनेस सेंटर के कैमरे के सामने वाहन को खड़ा किया जाता है और फोटो खींचने के बाद सर्टिफिकेट जारी हो जाता है, लेकिन वाहन की जांच की व्यवस्था नहीं है।
अब आटोमेटेड सिस्टम के माध्यम से मशीनों के जरिए जांच हो सकेगी। प्रदेश में पहले 11 सेंटरों को शुरू करने की बात हुई थी, इसमें ग्वालियर, इंदौर और भोपाल के साथ अन्य जिलों में भी वेदांत फिटनेस एंड पब्लिक व्हीकल की ओर से आवेदन आए थे। सभी शहरों को एक ही फर्म को काम दिया गया है। अभी तक आरटीओ कार्यालय में फिटनेस सेंटर में फिटनेस होती है और वाहन की किसी तरह की जांच नहीं की जाती,बस फोटो खींचकर फिटनेस सर्टिफिकेट प्रदान कर दिया जाता है। इसमें भी एजेंट सक्रिय रहते हैं जो शुल्क के अलावा अतिरिक्त राशि लेकर कार्य कराते हैं। अब आटोमेटिक मशीनों से फिटनेस की जांच होगी और वाहन की हकीकत में कमी भी दूर हो सकेगी। इसी कारण अब वह वाहन चालक परेशान हैं जो फोटो की दम पर फिटनेस पाना चाहते हैं लेकिन आटोमेटिक सिस्टम से ही अब फिटनेस का प्रमाण पत्र मिल सकेगा।

