
स्मार्ट सिटी की टूटी सड़कों पर अंधेरा पसरा हुआ है, क्योंकि स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी हुई है। इस बात को खुद संधारण करने वाली कंपनी एचपीएल के अफसर स्वीकार कर रहे हैं कि शहर की 60 फीसद स्ट्रीट लाइट बंद है। वर्षा के चलते लाइटें जल्द खराब हो रही हैं। इस कारण राहगीरों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
यह परेशानी तब और बढ़ जाती है जब टूटी सड़कों के गड्ढों में वर्षा का पानी भर जाता है, क्योंकि रात के अंधेरे में टूटी सड़कों के गड्ढे दिखाई तक नहीं देते जिससे वाहन चालक हादसे के शिकार तक बन रहे हैं। गजब की बात यह है कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी मिलकर न तो शहर की सड़कों के गड्ढे भर सकी और न ही उन्हें रोशन करा सकी। ऐसे में शहर की गली मोहल्ले और कालोनियों के रास्तों से होकर गुजरना जोखिम भरा बना हुआ है। एचपीएल कंपनी के अफसरों का कहना है कि पांच साल पुरानी एलईडी खंभों पर लगी हुई हैं। इनकी गुणवत्ता पहले से ही खराब है, जो लाइट बंद पड़ जाती है या खराब हो जाती है तो उसी एलईडी को सुधारकर फिर से लगा दिया जाता है। अब तक 20 हजार लाइट ऐसी हैं जिनके ड्राइवर, एमपीसीबी और लेंस बदले जा चुके हैं, जो कुछ समय काम करते है और फिर खराब हो जाते हैं। कुछ तो ऐसी हैं जो लगाते से ही बंद पड़ जाती है, जबकि पांच हजार लाइट ऐसी हैं जिन्हें एचपीएल कंपनी नई लगा चुकी है। लेकिन शहर में जो स्ट्रीट लाइट लगाई गई थीं उनका स्ट्रेक्चर ही खराब है इसलिए वह जल्द खराब हो जाती है। कई स्थानों पर केबिल नहीं तो कुछ स्थानों पर तीनों फेस नहीं आते, तो कहीं पर क्लैंप तक नहीं लगाया गया है और डेंटे या खंबे पर टांग भर दी गई हैं।
ग्वालियर स्मार्ट सिटी भले ही कागजों में स्मार्ट बन गई हो पर यहां पर जो काम हुए उन्हें स्मार्टपन की कमी देखी गई, क्योंकि शहर का रोशन बनाने के लिए स्मार्ट सिटी ने 26 करोड़ रुपए की लागत से एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (इइएसएल) के माध्यम से शहरभर में 62 हजार स्ट्रीट लाइटें लगवाई थीं। इनमें रेसकोर्स रोड, गांधी रोड, गोविंदपुरी रोड, सचिन तेंदुलकर मार्ग, न्यू कलेक्ट्रेट रोड आदि स्थानों पर लाइटें लगवाई गई थीं, लेकिन कुछ समय बाद ही इन स्थानों को रोशन करने वाली लाइटें खराब पड़ने लगी। लगातार शिकायत मिलने पर स्मार्ट सिटी ने ईईएसएल को हटाकर एचपीएल को 2023 में संधारण का काम दे दिया। जब एचपीएल ने शहर का सर्वे किया तो पता चला था कि शहर में महज 48 हजार ही लाइटें लगी थी बाकी सब कागजों में रोशनी फैला रही थीं। जो लाइट शहर में लगी उनकी गुणवत्ता भी खराब बताई गई थी। एचपीएल के अफसरों का कहना है कि स्मार्ट सिटी और एचपीएल का जो अनुबंध हुआ है उसमें स्ट्रीट लाइट का संधारण करना है ना कि बदलकर नई लगाना। इसलिए आने वाले समय में स्ट्रीट लाइट और भी अधिक खराब होंगी जिनका संधारण करना भी मुश्किल होगा।

