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ग्वालियर। प्रदूषण रोकने के साथ ही सड़क हादसों को कम करने के लिए अब 15 साल पुराने वाहनों पर अप्रैल से सख्ती से कार्रवाई होने की संभावना है। इसके पीछे कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में 15 साल पुराने वाहनों को बाहर करने का आदेश दिया था, लेकिन उस पर अभी तक प्रदेश में अमल नहीं हो पाया था। अब इसी मामले को लेकर परिवहन विभाग ने सख्ती बरतने के निर्देश प्रदेश के आरटीओ को दिए हैं। इस आदेश पर अमल होने से सबसे अधिक प्रभावित कमर्शियल वाहन होंगे।
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प्रदेश में 15 साल से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों पर रोक लगाने के निर्णय पर अमल करने की तैयारी ग्वालियर में परिवहन अमले ने शुरू कर ली है। शहर में करीब 8 हजार कमर्शियल वाहन ऐसे हैं जो अपनी 15 साल की आयु को पूरा कर चुके हैं। दिल्ली की तर्ज पर प्रदेश में प्रदूषण कम करने मप्र में भी 15 साल से पुराने वाहनों पर रोक लगाने का निर्णय सरकार ने लिया है। परिवहन विभाग 15 साल से पुराने कमर्शियल वाहनों का न तो फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करेगा और न ही परमिट जो वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, उन पर रोक लगवाई जाएगी। आरटीओ ने 15 साल से पुराने वाहनों की जानकारी एकत्रित करना शुरू कर दी है। वहीं उन नंबरों की सूची बनाकर एक साथ कार्रवाई की जाएगी। बताया है कि शहर में कमर्शियल वाहनों की संख्या 48 हजार के करीब है । इनमें से करीब 9 हजार वाहन 15 साल से पुराने हो चुके हैं जिसमें स्कूल बस और गुड्स वाहनों की संख्या काफी है।
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शहर में 15 साल से अधिक पुराने वाहनों में स्कूल बसों की संख्या काफी अधिक है। शहर में कुल 890 स्कूल बसें संचालित होती हैं। वैसे कई बस संचालकों ने बसें नई ली हुई हैं, लेकिन अभी भी कई कॉलेजों व स्कूलों में काफी पुरानी बसें संचालित हो रही है। इसको लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं, लेकिन आरटीओ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है इसके पीछे कारण यह है कि शहर में नेताओं के ही स्कूल व कॉलेज हैं। आरटीओ अगर कार्रवाई करते हैं तो उनको ऊपर से फोन आ जाते हैं जिसके कारण कार्रवाई को रोक दिया जाता है। 15 साल पुराने वाहनों को सड़कों से उतारने के आदेश पर अमल होने से करीब 3 सैकड़ा स्कूल बसें सड़कों से उतर सकती हैं। इस मामले को लेकर स्कूल बस ऑपरेटरों ने पहले भी विरोध किया था और आगे भी कर सकते हैं, क्योंकि बस ऑपरेटरों को तत्काल नई बसों का इंतजाम करना होगा। बस ऑपरेटरो का यह भी कहना है कि स्कूल बसें साल में करीब 190 दिन ही संचालित होती हैं और हर दिन मात्र 40 से 50 किमी का सफर तय करती है। ऐसे में अगर 15 साल का हिसाब लगाया जाए तो बस सिर्फ 2 लाख 70 हजार किमी ही संचालित होती हैं।
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