
ग्वालियर। शहर में आजकल गृह निर्माण समिति के नाम से जमीन देने के नाम पर भोलेभाले लोगों को अपना शिकार बनाया जा रहा है। अभी हाल ही में प्राप्त जानकारी के अनुसार सनातन गृह निर्माण समिति ने मात्र एक ग्वालियर विकास प्राधिकरण के आवंटन पत्र को मोहर बनाकर भोली भाली जनता को प्लाटों के नाम से करोड़ों के बारे न्यारे किये है।
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इस सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति के कर्ताधर्ता अध्यक्ष वीपी भदौरिया है। वह प्लाटों का आवंटन ग्वालियर विकास प्राधिकरण के माध्यम से बताकर जनता को बेच रहे हैं। जबकि इस संदर्भ में जीडीए से जानकारी चाही गई तो जीडीए के अधिकारियों का कहना था कि सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति से संबंधित कोई जानकारी ग्वालियर विकास प्राधिकरण में प्रचलित नहीं है। यह जानकारी जीडीए ने अपने एक पत्र के माध्यम से दी है। इसके बाबजूद सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा प्लाटों की बिक्री की जाकर करोड़ों ढकार लिये गये है और प्रशासन हाथ पर हाथ धरा बैठा है। इसके खिलाफ अभी तक ग्वालियर विकास प्राधिकरण सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। कैसे कोई सहकारी समिति बनाकर जीडीए के माध्यम से प्लाटों का आवंटन बताकर भोलीभाली जनता की कमाई को ढकार सकता है। लेकिन यह सब हो रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बनकर रहा गया है। क्या समिति के कर्ताधर्ता भदौरिया का रसूख प्रशासन से बड़ा है, जो इस पर कार्रवाई करने से प्रशासन बच रहा है। लेकिन ऐसे में आम आदमी की गाढ़ी कमाई जरूर हिल्ले लग रही है।
इस मामले से जुड़े खरीदारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें समिति के नाम पर झूठे आश्वासन देकर संपत्तियां बेची गईं। कई खरीदारों ने प्रशासनिक स्तर पर शिकायत की है, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसके अलावा, प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक ओर जहां आवंटन पत्र से हो रही रजिस्ट्रियों की वैधता पर प्रश्नचिन्ह है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने अब तक इन रजिस्ट्रियों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
क्या है पूरा मामला, ऐसे समझिए
शहर में भू-माफिया गतिविधियां लगातार सामने आ रही हैं। इनमें सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति के नाम पर फर्जीवाड़ा किए जाने की बात सामने आ रही है। यह समिति वर्षों से आवंटन पत्र के जरिए रजिस्ट्री करवा रही है, जबकि इसका नाम ग्वालियर विकास प्राधिकरण (GDA) के रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है। जानकारी के अनुसार, यह समिति 2004 में ही बंद हो चुकी है। समिति का पंजीकरण समाप्त होने के बावजूद, इसके नाम पर संपत्तियां बेची जा रही हैं। शिकायतें यह भी हैं कि समिति के दस्तावेज़ों का उपयोग करके कई संपत्तियां बेची जा चुकी हैं, जिससे खरीदारों को भविष्य में कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
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