
(धीरज बंसल)
ग्वालियर। व्यापार मेला को लेकर यह कह जा रहा है कि यह पहली दफा है जब औपचारिक उदघाटन तक नहीं हो पाया है। पूरा जनवरी माह बीत चुका है, लेकिन अपनी नाकामी और नकारा नीति से प्राधिकरण मेला को सिमटाता जा रहा है, जिससे मेला की गरिमा तार-तार हो रही है। वर्तमान सचिव ने मेला से संबंधित ठेकों जैसे पार्किंग – बिजली में कीमत तो डबल वसूली, लेकिन व्यापारियों को सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया। वहीं मेला का अब तक औपचारिक उदघाटन नहीं होने से श्रीमंत माधवराव सिंधिया व्यापार मेला की ऐतिहासिक महत्वता को ठेंस पहुंची है। प्राधिकरण में अधिकारी राज होने से मेला हाट में बदल गया है। अगर मेला में बोर्ड बनता और राजनैतिक नियुक्ति होती तो कुछ मेला का भला भी होता और मेला में कुछ नई गतिविधि भी आती। परंतु अधिकारी राज होने से मेला अब तक अपना औपचारिक उदघाटन तक की बांट जोह रहा है। मेला व्यापारियों की माने तो मेला का उदघाटन एक परंपरा है, जो प्राधिकरण द्वारा नहीं निभाये जाने से मेला की गरिमा को बड़ी ठेंस पहुंची है। जबकि बीते दिनों मेला भ्रमण करते हुये प्राधिकरण सचिव को प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने जल्द उदघाटन कराने के लिये निर्देशित भी किया था। संभवतः मेला सचिव ने खुद को प्रभारी मंत्री से भी बड़ा समझकर उनके निर्देशों की अनदेखी तक कर डाली है। जनवरी माह समाप्त हो चुका है और अब फरवरी माह में मेला का प्रस्तावित शेडयूल 25 फरवरी तक ही है। 25 दिसंबर से शुरू हुये मेला में जनवरी का पूरा माह बिना औपचारिक उदघाटन के ही मेला चला है। अब मेला समापन की ओर पहुंच गया है। संभावना है कि जब प्राधिकरण मेला का उदघाटन नहीं करा पाया तो समापन समारोह से भी परहेज करें तो इसमे कोई अचंभे की बात नहीं होगी।
प्राधिकरण में राजनैतिक नियुक्ति नहीं होने से सिमटा मेला, उदघाटन तक नहीं करा पाया प्राधिकरण

