कमीशन फिक्स लैब की ही जांच रिपोर्ट देखते है डाक्टर, दूसरी लैबों की देते है रिपोर्ट फेंक?


ग्वालियर। ग्वालियर के बड़े से बड़े डाक्टर आजकल जांच में भी कमीशन की मलाई खा रहे है। डाक्टरों का अपनी फीस और दवाई कमीशन से भी पेट नहीं भर रहा है इसलिये अब वह जांच का कमीशन भी खा रहे हैं। मरीज को जांच की जरूरत है या नहीं डाक्टर तो बिना जांच रिपोर्ट के मरीज को देखने को तैयार नहीं होते। पहले आप डाक्टर के जायेंगे तो वह आपका जांचें लिख देगा और कह देगा कि इस वाली लैब से कराना, क्योंकि डाक्टर यहां कमीशन फिक्स है।
ग्वालियर में अब डाक्टरों को मरीज की बजाये कमीशन की चिंता रहती है। वह मरीज को प्राथमिकता ना देकर अपनी जेब को प्राथमिकता दे रहा है। अगर मरीज डाक्टर के पास छोटी से छोटी बीमारी को लेकर भी पहुंचता है तो वह जांच लिख देता है। चाहे जांच की जरूरत हो या नहीं। जांच कराने के लिये भी वह अपनी कमीशन फिक्स लैब पर भेजता है और कहता है वह सिर्फ यहां की ही रिपोर्ट देखेगा, क्योंकि कमीशन जो सेट है। मजबूरन लैब मालिकों को भी अपनी लैब चलाने के लिये डाक्टरों को कमीशन देना पड़ता है। अगर मरीज लैब पर पहुंचकर कुछ पैसा कम करने की प्रार्थना करता है तो लैब पर बैठा कारिंदा कहता है हम क्या करें डाक्टर को भी कमीशन देना है। डाक्टर और लैब के बीच मरीज की जेब अच्छी खासी कट जाती है। अगर भूलवश मरीज दूसरी लैब से जांच कराकर रिपोर्ट दिखाने डाक्टर को ले जाता है तो डाक्टर वह रिपोर्ट देखने से साफ मना कर देता है और कहता है मैंने जहां से कहा था वहां से जांच कराकर दोबारा लाओ। ग्वालियर में बड़े बड़े दिग्गज डाक्टर पहले तो मरीज से फीस के नाम पर मोटी रकम वसूलते है और फिर दवाई से लेकर जांच तक में कमीशन खाते है। इस सब में मरीज और उसका अटेण्डर पिसता है। ग्वालियर के फेमस यूरोलाजी चिकित्सकों ने इसका अपना ही एक मकडजाल फैला रखा है। वह सरकारी प्रेक्टिस के साथ प्राइवेट प्रेक्टिस भी करते है।