महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिये स्थापित बैंक में अब पुरूष कर्मचारी?


(धीरज बंसल)
ग्वालियर। लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक अपनी कारगुजारियों के लिये हमेशा सुर्खियों बंटोरता रहा है। बैंक की अध्यक्ष के अमर्यादित व्यवहार से बैंक के ग्राहक तक दूर होने लगे है। वहीं महिलाओं को रोजगार के उददेश्य से स्थापित इस बैंक में अब महिला कर्मचारियों की जगह पुरूष देखे जा सकते है। इससे पता चलता है कि बैंक की चेयरमैन की सोच कितनी कुंठित है, जो खुद को छोड़कर दूसरी महिला व युवती कर्मचारियों को बर्दाश्त नहीं करती है।
महिलाएं स्व रोजगार को अपनाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके इसी उददेश्य को लेकर लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक की स्थापना हुई थी। इस बैंक की अध्यक्ष खुद एक महिला अलका श्रीवास्तव है। बीते दिनों अध्यक्षा महोदया पर बैंक की महिला कर्मचारियों ने प्रताड़ना करने तक के आरोप लगाये थे। वहीं बैंक के चुनाव तक पर सवाल उठते रहे है। लेकिन आज तक बैंक के अध्यक्ष पद पर अलका श्रीवास्तव काबिज है। साथ ही वह अपने लोगों की गर्वनिंग बाडी में बैठाकर खुद अध्यक्षी का सुख भोग रही है। चुनाव के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है। वहीं मजे की बात तो यह है कि महिलाओं के आत्मनिर्भन के अभियान को लेकर स्थापित बैंक में अब महिला कर्मचारियों का स्थान पुरूष ले रहे है। बैंक में 70 प्रतिशत कर्मचारी पुरूष है। इसको लेकर अब बैंक अध्यक्षा पर सवाल उठने लगे है कि क्या वह साजिशन महिला कर्मचारियों को निकाल रही है या फिर उनके साथ गलत व्यवहार कर उन्हें इस्तीफा देने के लिये मजबूर कर रही है और पुरूष कर्मचारियों की भर्ती कर रही है। बैंक अध्यक्ष अलका श्रीवास्तव के बारे में वैसे भी कहा जाता है वह अपना रूतबा बनाये रखने के लिये किसी भी हद तक जा सकती है।