चिंता में स्कूल बस ऑपरेटर, कार्रवाई हुई तो 45 फीसदी स्कूलों की बसें सड़कों से उतर जाएंगी

(पंकज राजकुमार बंसल)
बीते दिनों इंदौर हाईकोर्ट ने स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है, जिसके तहत अब स्कूल में जो बसें संचालित होंगी, उसकी आयु सिर्फ 12 साल रखी गई है। यह फैसला 2018 में हुए एक हादसे के बाद दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद सुनाया गया। हाईकोर्ट ने जो निर्देश व गाइड लाइन जारी की है, उसके बाद से ही शहर में स्कूल बस ऑपरेटर चिंता में आ गए हैं। हाईकोर्ट के निर्णय के चलते खुलकर तो नहीं से कुछ कह पा रहे हैं, लेकिन उसके लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग जरूर करने लगे हैं।
शहर के अंदर फिलहाल करीब 850 से 870 के बीच स्कूल बसों का संचालन हो रहा है। इसके चलते पहले जब स्कूल बस की आयु सीमा 15 साल निर्धारित की गई थी, उस समय भी बस ऑपरेटरों ने इसका विरोध किया था, लेकिन निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने किया था जिसके चलके विरोध का कोई असर नहीं हुआ था। अब जो इंदौर हाईकोर्ट का आदेश आया है, उसके बाद से बस ऑपरेटर इस बात को लेकर चिंता जताने लगे हैं कि आगे बसों के संचालन का काम बंद ही करना पड़ेगा। अगर नई गाइड लाइन के तहत पालन होता है तो शहर के स्कूलों में संचालित 45 फीसदी स्कूल बसें सड़क से उतर जाएंगी। सकूल बस ऑपरेटरों का कहना है कि अब हाईकोर्ट ने जो नियम बना दिया है, उसका पालन तो सभी को करना होगा, क्योंकि उसके खिलाफ तो कोई जा नहीं सकता। इस नियम का पालन कराने की जिम्मेदारी आरटीओ, पुलिस अधीक्षक और ट्रैफिक पुलिस अधिकारी की होगी। प्रत्येक स्कूल को किसी वरिष्ठ शिक्षक या कर्मचारी को वाहन प्रभारी नियुक्त करना होगा। बस ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। स्कूल को शपथ पत्र देना होगा कि बस खतरनाक तरीके से नहीं चलाई जाएगी।
यह रहेगी स्कूल बसों की नई गाइडलाइन
■ स्कूल बस को पीले रंग से रंगा जाएगा और उसके आगे व पीछे स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।
■ स्कूल बस के बाहर दोनों तरफ स्कूल के वाहन प्रभारी का नाम, पता और टेलीफोन व मोबाइल नंबर लिखना अनिवार्य।
■ स्कूल बस की खिड़कियों के शीशों पर रंगीन फिल्म नहीं लगाई जा सकेगी।
■ प्रत्येक स्कूल बस में फर्स्ट एड बॉक्स और अग्निशमन यंत्र होना अनिवार्य
■ बस में एक प्रशिक्षित परिचारक होगा, जो आपातकालीन स्थिति में सहायता कर सके।
■ ड्राइवर के पास स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस और कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए।
■ ऐसे ड्राइवर जो एक साल में दो बार से ज्यादा सिग्नल जंप कर चुके हैं, वह स्कूल बस नहीं चला सकेंगे।
■ ड्राइवर तेज गति या शराब पीकर गाड़ी चलाने का दोषी पाया गया है, वह भी स्कूल बस नहीं चला पाएगा।
■ प्रत्येक स्कूल बस में सीट के नीचे स्कूल बैग रखने के लिए स्थान होगा।
■ हर बस में स्पीड गवर्नर व सीसीटीवी कैमरे लगना अनिवार्य किया है। ■ बसों में प्रेशर हार्न नहीं लगाया जाएगा।
■ रात के समय स्कूल बसों में नीले बल्ब लगाए जाएंगे। ■ कोई भी स्कूल बस 12 साल से पुरानी नहीं होगी।