जीडीए बना चारागाह, अस्तित्व की लड़ाई में योजनायें?


ग्वालियर विकास प्राधिकरण अपनी बेचारी पर आंसू बहा रहा है। बिना किसी राजनैतिक नियुक्ति के चल रहे इस प्राधिकरण की जहां माली हालत खराब है, वहीं विकास की योजनायें भी सिर्फ कागजों तक सीमित है। वर्तमान सीईओ भी सिर्फ कागज पर ही चल रहे है। हालांकि उन्होंने अभी माधव प्लाजा को लेकर सक्रियता दिखाई है। लेकिन माधव प्लाजा में जब तक सुविधायें व्यापारियों को नहीं मिलेगी व्यापारी वहां पर आकर अपना काम प्रारंभ नहीं कर सकते। मूलभूत सुविधाओं को लेकर माधव प्लाजा संकट में है। इधर शताब्दीपुरम योजना का भी हाल बेहाल है। विकास के कार्य सभी ठप्प है। विकास को लेकर जीडीए उदासीन है। जीडीए की आमदनी का भी कोई अता पता नहीं है। जो आता है वह जीडीए को नोंच कर चला जाता है जिससे यह प्राधिकरण अब चारागाह बनकर रह गया है। इस प्राधिकरण की सभी योजनायें अपने अस्तित्व के लिये लड़ाई लड़ रही है। वहीं शासन ने भी लंबे समय से यहां कोई राजनैतिक नियुक्ति नहीं की है। जिससे इस प्राधिकरण की छाप अब धूमिल सी दिखाई देने लगी है।