
ग्वालियर। शहर की बिगड़ती आवोहवा के साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था भी एक समस्या ऐसा बन चुकी है, जिसको सुधारने के लिए कई प्रयोग किए गए। साथ ही अधिकारियों ने बंद कमरों में बैठकें कर कई तरह के फरमान भी जारी किए, फिर भी न ट्रैफिक सुधरा न शहर के कई स्थान वाहनों के अवैध स्टॉपेज से मुक्त हुए। वाहनों के अवैध स्टॉपेज आमजन के लिए परेशानी बन चुके हैं, लेकिन शिकायतों के बाद भी कार्रवाई न होना यह दर्शाता है कि अवैध स्टॉपेज का हाल भी बाजार के फुटपाथ की तरह हो चुका है।
शहर में लगातार वाहनों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है, जिसके चलते शहर के खाली मैदान तो छोड़ो कॉलोनियों की गलियों में भी वाहनों की लाइन लग जाती है। इस कारण ऐसे रास्तों में अन्य वाहनों को निकालने में खासी दिक्कतें आ रही हैं। उसके हिसाब से पार्किंग एरिया नहीं बन पा रहे हैं जिसके कारण वाहन शहर के खेल मैदान से लेकर किसी भी स्थान पर खड़े करने का प्रचलन बन गया है। इससे किसको कितनी परेशानी हो रही है उसको देखने एवं समझने वाला कोई नहीं है। शहर की परिवहन सेवा में लगे टेंपो, ऑटो व ई रिक्शा सड़कों पर पार्क किए जाते हैं। साथ ही अन्य यात्री व मालवाहक वाहन भी सड़कों को घेरकर पार्क किए जाते हैं। जिस तरह से शहर के बाजार में फुटपाथ कमाई का जरिया बने हुए हैं ठीक उसी तरह से वाहनों की पार्किंग भी अवैध वसूली की ओर इशारा कर रही है। वहीं सड़कें पूरी तरह से यात्री और स्कूल बसों की पार्किंग में बदल चुकी हैं। आधी-आधी सड़कें बसों की वजह से घिरी रहती हैं। यात्री बसें शहर के अंदर से ही चलती हैं, दिनभर यहीं सामान की लोडिंग और अनलोडिंग होती है। इससे जाम लगना आम बात हो चुकी है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस को जनता की यह परेशानी नजर नहीं आती। ट्रैफिक पुलिस के सामने से बसें निकलती हैं, लेकिन इन पर कार्रवाई तो दूर उन्हें रोका तक नहीं जाता। ट्रैफिक पुलिस आंखें बंद किए हुए हैं पर दूसरे राज्य व अन्य जिलों के रजिस्टर्ड वाहनों पर पुलिस की जरूर नजर पड़ जाती है। हालात यह है कि ट्रैफिक व्यवस्था संभालने की जगह ट्रैफिक पुलिस सिर्फ राजस्व वसूली के काम में लगी हुई है।
शहर के कंपू स्थित पद्मा विद्यालय के सामने स्थायी रूप से निजी यात्री बसें खड़ी रहती हैं। जवाहर कॉलोनी, ईदगाह, बेटी बचाओ चैराहा, रॉक्सी पुल के आसपास से वीडियोकोच बसें संचालित होती हैं, जबकि शहर के अंदर से बसों का संचालन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। शहर के ट्रैफिक को कम करने के लिए झांसी रोड पर बस स्टैंड बनाया गया था जहां से यात्री बसों का संचालन होना चाहिए, लेकिन सामान की लोडिंग के साथ ही अनलोडिंग का काम बसें शहर के अंदर ही कर रही है। वैसे ट्रैफिक पुलिस यह दावा जरूर करती है कि शहर की सड़कों पर पार्क होने वाली स्कूल व यात्री बसों पर चालानी कार्रवाई की जाती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ट्रैफिक पुलिस का काम सिर्फ चालानी कार्रवाई तक सीमित होकर रह गया है।
शहर के कई स्थान वाहनों के अवैध स्टापेज बने?, कंपू पर खड़ी रहती है बसें

