सतीश कांग्रेस की राजनीति में पॉवर सेंटर!

(धीरज राजकुमार बंसल)
ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल की राजनीति में इस समय सिकरवार परिवार कांग्रेस की राजनीति का पॉवर सेंटर बन गया है। विजयपुर की जीत से यह सेंटर ओर मजबूत हुआ है और इसके चलते अब आगे उनके हिसाब से प्रदेश कांग्रेस अंचल के लिए निर्णय ले सकती है। विजयपुर में भले ही कमान राज्यसभा सांसद अशोक सिंह के हाथ में थी, लेकिन जमीनी स्तर पर सिकरवार परिवार ही वहां मौजूद रहा और उन्होंने ही भाजपा प्रत्याशी के हर चक्रव्यूह को तोड़ने का काम किया, जिसके चलते कांग्रेस चुनाव जीत सकी। राजनीतिक समीकरण के हिसाब से भी विधायक डॉ. सतीश सिकरवार अब अंचल में कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार हो गए हैं।
विजयपुर उपचुनाव एक तरह से कांग्रेस के लिए अंचल की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हुआ। उपचुनाव का ऐलान हुआ उस समय कांग्रेस के कई दावेदार थे, उसको लेकर कुछ वरिष्ठ नेताओं ने नाम भी दिए थे, लेकिन प्रदेश कांग्रेस ने विधायक सतीश सिकरवार की राय को महत्व देते हुए उनके हिसाब से ही मुकेश मल्होत्रा को मैदान में उतारा था। अब लड़ाई सत्ता पक्ष के लोगों से थी, साथ ही सामने मंत्री था तो ऐसे में सतीश सिकरवार के लिए यह लड़ाई काफी अहम हो गई थी। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अगर सिकरवार परिवार वहां नहीं होता तो रावत को हराना आसान नहीं होता और वह आसानी से चुनाव जीत जाते। इसके पीछे कारण यह था कि पूर्व विधायक सत्यपाल सिकरवार व विधायक डॉ. सतीश सिकरवार अब चुनावी हथकंडे पूरी तरह से समझ चुके हैं और उनकी काट कैसे की जाती है, उसका भी उनको काफी अनुभव हो चुका है, इसके चलते ही रावत की हर चाल को उन्होंने फेल किया और चुनाव जिता ले गए। इस चुनाव जीतने के बाद अब अंचल की कांग्रेस राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। साथ ही विधायक सतीश सिकरवार एक तरह से कांग्रेस के पॉवर सेंटर बनकर उभरे है।
यहां बता दें कि ग्वालियर पूर्व विधानसभा से सतीश सिकरवार ने दूसरी बार अपनी सीट निकाली, साथ ही महापौर भी अपनी पत्नी को बनाने में सफल रहे थे। जबकि कांग्रेस का महापौर ग्वालियर में 56 साल बाद बन सका है। महापौर बनने के बाद विधायक का कद बढ़ गया था और उसके चलते ही मुरैना लोकसभा से उनके छोटे भाई सत्यपाल सिंह सिकरवार को कांग्रेस ने टिकट दिया क था, लेकिन चुनाव रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे, क्योंकि रामनिवास रावत लोकसभा में दिए गए टिकट से नाराज थे।