आबकारी विभाग को राजस्व बढ़ाने की चिंता, अभी ग्वालियर में 114 दुकानें; अहाते शुरू करने की सिफारिश


ग्वालियर। प्रदेश में एक बार फिर शराब दुकानों के बंद अहाते चालू करने की तैयारी की जा रही है। इसके पीछे कारण यह है कि शराब कारोबारी इसके लिए सक्रिय हो गए हैं और एक तरह से दवाब बना रहे हैं, जिसके चलते आबकारी विभाग के अधिकारी उनके हिसाब से अहाते खुलने के फायदे सरकार को बता रहे हैं। यह भी समझा रहे हैं कि अहाते खुलने से राजस्व में बढ़ोतरी हो सकती है। इसी दबाव के चलते नई शराब नीति को लेकर एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है जिसमे अहाते खोलने का उल्लेख होना बताया जा रहा है। प्रस्ताव यह भी बनाया गया है कि अहाते खुले तो शराब की दुकानें 10 फीसदी अधिक फीस पर नीलाम हो सकती हैं।
शराब दुकानों को मोहल्लों व मंदिरों के नजदीक खोलने पर जमकर विरोध हुआ था। साथ ही अहाते खुलने को लेकर भी अपनों से ही सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा था। विरोध के चलते तत्कालीन शिवराज सरकार ने अहाते बंद करने का निर्णय लिया था। उसके बाद कुछ दुकानों को भी हटाकर अन्य स्थानों पर शिफ्ट कराया गया था। अब स्थिति यह है कि अहाते बंद होने से शराब दुकानों के बाहर मदिरा शौकीनों की भीड़ लगती है, जिसके चलते अब नई आबकारी नीति में अहाते खुलवाने की सिफारिशें होने लगी हैं। ग्वालियर जिले की बात करें तो यहां शराब की 114 दुकानें हैं। पहले देशी व विदेशी शराब दुकान अलग-अलग हुआ करती थी, लेकिन पिछली बार जो नीति बनी थी, उसमें दोनों तरह की शराब एक ही दुकान पर उपलब्ध होने लगी है। ग्वालियर में 114 शराब दुकानों में से सिर्फ सात दुकानें ऐसी थीं, जिनको अहाते खोलने की इजाजत मिली थी, क्योंकि उन दुकानों की फीस में ही अहाते की फीस शामिल की गई थी। पहले शराब दुकानों के साथ अहाते भी खुले रहते थे, जिनमें बैठकर लोग मदिरा पान करते थे, लेकिन यहां बैठकर मदिरा कर अपने घर जाने के दौरान दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती थी, साथ ही सड़क पर चलते समय विवाद भी होते थे। इसी को लेकर उस समय पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अहाते बंद कराने के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार को पत्र लिखा था और बाद में जब बंद नहीं किए गए तो एक शराब दुकान पर तो उन्होंने पत्थर भी फेंका था जिसका वीडियो उस समय सोशल मीडिया पर जमकर वायरल भी हुआ था। उमा के विरोध को देखते हुए तत्कालीन शिवराज सरकार ने अहाते बंद करा दिए थे।
दुकानें नीलाम करने में आती है परेशानी
जब भी नया वित्तीय साल आता है तो आबकारी विभाग के अधिकारियों को पसीना आने लगता है, क्योंकि जिस तरह से हर साल फीस में बढ़ाई जाती है उसके चलते ठेकेदार दुकान लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं। इसके चलते आबकारी विभाग के अधिकारियों को शराब ठेकेदारों की खातिरदारी करना पड़ती है। इसका कारण यह है कि भोपाल में बैठे अधिकारी तो फरमान जारी कर देते हैं, लेकिन जिला स्तर पर शराब दुकानों के ठेके देने में कितनी दिक्कत आती है यह जिला स्तर के अधिकारी ही समझते हैं। उन्हीं शराब कारोबारियों के दबाव में अब नई शराब नीति में अहाते खुलवाने के फायदे बताए जा रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस दबाव के खेल में आकर शिवराज सरकार के फैसले को पलटती है या फिर उसे बरकरार रखती है।