
– खुदी सड़कों को बनाना तो दूर पैच रिपेयरिंग तक नहीं
ग्वालियर। प्रदूषण के मामले को लेकर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट से कई बार ग्वालियर के अधिकारियों को चेताया जा चुका है, लेकिन उसके बाद भी स्थिति में किसी तरह का सुधार करने की सक्रियता अधिकारी नहीं दिखा रहे है। हालात यह हैं कि शहर की अधिकांश सड़कें पूरी तरह से उखड़ी पड़ी हैं जिसके कारण धूल का गुबार हवा में घुल रहा है, जिससे सड़क किनारे बने मकानों के अंदर तक धूल के कण आसानी से प्रवेश कर लोगों की परेशानी को बढ़ा रहे हैं। वहीं वाहनों से निकलने वाले धुएं के साथ ही कचरे में लगाई जाने वाली आग से भी वातावरण बिगड़ रहा है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए पॉल्यूशन डिपार्टमेंट भी है, लेकिन वह सिर्फ खामोश बनकर तमाशा देखता रहता है। इस समय शहर के अंदर प्रदूषण की हालत काफी खराब है और वायु गुणवत्ता सूचकांक 325 से ऊपर पहुंच चुका है जबकि यह आंकड़ा 100 से नीचे होना चाहिए।
शहर में जिस तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ी है उसके चलते वाहनों को सड़कों पर रेंगने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वहीं शहर का विस्तार जिस तेजी से हो रहा है उसके चलते पेड़-पौधों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। एक तरह से कहें तो जो हमें ऑक्सीजन देता है उसी को हम नष्ट करते जा रहे हैं, जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। कहने को हर साल पौधरोपण के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। हर विभाग को टारगेट भी मिलता है, लेकिन उक्त टारगेट को पूरा करने के लिए फोटो सेशन तो करा लिया जाता है पर जितना पौधरोपण किया उसमें से कितने पौधे सुरक्षित बचकर पेड़ बन सकें इसकी मॉनिटरिंग करने का किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस समय शहर के अंदर व आसपास आवासीय कॉलोनियां व मल्टी बनती जा रही हैं, जिसके चलते हजारों की संख्या में पेड़-पौधे पूरी तरह से नष्ट किए जा चुके हैं। एक समय था जब सिटी सेंटर से लेकर बायपास रोड तक हरियाली छाई रहती थी, लेकिन अब हरियाली छंटती जा रही है।
शहर का प्रदूषण बिगाड़ने में सबसे अधिक योगदान डीजल से संचालित वाहनों का रहता है, लेकिन समय के हिसाब से अब ऐसे वाहनों की संख्या कम होती जा रही है। वायु में धुएं एवं धूल के कणों की मात्रा अधिक होने से लोगों को श्वांस संबंधी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। एक आंकड़े के मुताबिक ग्वालियर व्यापार मेले में रोड टैक्स की छूट मिलने से वाहनों की संख्या में काफी इजाफा विगत कुछ सालों में हुआ है। इस समय शहर के अंदर करीब 7 लाख से अधिक वाहन रजिस्टर्ड हैं और इसकी संख्या आने वाले समय में लगने वाले व्यापार मेले से ओर बढ़ सकती है। वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए शहर में पॉल्यूशन डिपार्टमेंट है, लेकिन वह सड़कों पर जांच करने कम ही निकलता है, क्योंकि उनका पूरा फोकस औद्योगिक इकाइयों पर रहता है।
खुदी सड़कों को बनाना तो दूर पैच रिपेयरिंग तक नहीं
शहर में इस समय एक नाला बनाया जा रहा है जिसके चलते फूलबाग से खुदाई का काम शुरू हुआ था। अब वह माधव नगर गेट तक पहुंच चुका है, लेकिन पीछे जो नाला बनाने के लिए पाइप डाल दिए हैं वहां भी सड़क बनाने का काम नहीं किया है। इस रोड की खुदाई से संबंधित क्षेत्र में धूल का गुबार से छा जाता है। यह तो नाले का काम है, इसके चलते कह सकते है कि काम होगा तो परेशानी होगी, लेकिन इसके अलावा भी शहर की अधिकांश सड़कें व मोहल्लों की सड़कें पूरी तरह से खुदी पड़ी हैं जिसके कारण धूल का गुबार उड़ कर प्रदूषण बढ़ा रहा है। शहर की आवोहवा इस समय इस कदर बिगड़ी हुई है कि लोग मुंह पर मास्क लगाकर निकलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। जिला प्रशासन ने जरूर बिगड़ते प्रदूषण को देखते हुए शहर के आसपास चलने वाली ईंट भट्टों को बंद करने के निर्देश दिए थे जिसके चलते कुछ भट्टे बंद भी किए जा चुके है।
शहर में धुआं बढ़ा रहा वायु प्रदूषण, सूचकांक 325 के पास

