
शहर के ट्रैफिक के लिए सिरदर्द बने ई-रिक्शा अब बिजली कंपनी के लिए भी मुसीबत बनते जा रहे हैं। ई-रिक्शा को चार्ज करने के लिए अवैध चार्जिंग स्टेशन की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, ये बिना किसी अधिकृत बिजली कनेक्शन लिए खुलेआम चोरी की बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। जानकारों की माने तो इस अवैध कारोबार से हर माह लगभग दो करोड़ रुपए की बिजली चोरी हो रही है। क्योंकि एक ई-रिक्शे को फुल चार्ज करने में 7-8 घंटे लगते हैं, जिसमें 6 से 8 यूनिट बिजली खपत होती है। ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन का कनेक्शन लेने पर संचालक को एक यूनिट का भुगतान लगभग 7-8 रुपए की दर से करना होता है। ऐसे में एक ई-रिक्शा चार्ज होने में करीब 65 रुपए की बिजली खर्च होती है, लेकिन अवैध रूप से चार्जिंग स्टेशन संचालित करने वाले सिर्फ 40 रुपए में ई-रिक्शा की बैट्री फुल चार्ज कर देते हैं।
खास बात यह है कि शहर में 10 हजार ई-रिक्शे संचालित हो रहे हैं, जिन्हें चार्ज करने के लिए विद्युत विभाग ने सिर्फ 17 कनेक्शन ही आधिकारिक रूप से दिए हुए हैं। जबकि शहर में बड़ी संख्या में अवैध चार्जिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं। कई जगह तो ऐसी हैं, जहां 100-150 ई-रिक्शा एक साथ चार्ज करने के लिए चार्जिंग पॉइंट बने हुए हैं। जहां देर रात ई-रिक्शा चार्ज होने के लिए आते हैं, और सुबह तड़के शहर में निकल पड़ते हैं। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के निवास, कांचमिल क्षेत्र में ही आधा दर्जन से अधिक अवैध ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन संचालित हैं, जिनमें से कुछ तो काफी ऑर्गनाइज ढंग से बिजली चोरी का यह धंधा कर रहे हैं।
चोरी की बिजली से अवैध चार्जिंग स्टेशनों पर रोजाना चार्ज होते हैं ई-रिक्शा

