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हाल ही में हुई भारी बारिश के दौरान शहर में भयावह जलभराव की स्थिति निर्मित हो गई थी। जलभराव को लेकर जनता से लेकर राजनीतिक पार्टियों ने निगम मुख्यालय पर कई दफा प्रदर्शन भी किया, लेकिन अब तक निगम इस बात को नहीं समझ पा रहा है कि शहर का ड्रेनेज सिस्टम खराब है। ठेकेदार रोड तो बना देते है लेकिन नाली नहीं निकालते है। यदि कहीं निकालते है तो वहां पानी का बहाव नाली की तरफ नहीं करते है जिससे शहर में जलभराव के हालात बन रहे है।
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जलभराव होना अगर बरसात में रोकना है तो सड़क निर्माण के दौरान नाली ठेकेदार द्वारा बनवाना सुनिश्चित करना होगा। अमूमन देखने में आ रहा है कि ठेकेदार नाली नहीं बनाता है और सड़क डामरीकरण या रोड डालकर नौ दो ग्यारह हो जाता है। इसके बाद बरसात में आम जनता पिसती है। वहीं ठेकेदार और निगम अधिकारी आराम फरमाते है। ठेकेदार की गलती की सजा जनता को भुगतनी पड़ती है। वहीं जनता की गाढ़ी कमाई भी बर्बाद होती है। निगम को सड़क बनवाने के दौरान ठेकेदार से नाली निर्माण व पानी बहाव को नाली में करने की बात सुनिश्चित करनी चाहिये। अगर ठेकेदार पहले सही तरीके से नाली बनायें और फिर सड़क का डामरीकरण करें तो जलभराव के हालातों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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लेकिन ग्वालियर में हुये सड़क निर्माण के दौरान ऐसा देखने को नहीं मिला, जिससे जलभराव के कारण हालात बिगड़े और सड़कें भी क्षतिग्रस्त हुई। वहीं इन हालातों के बाद इंजीनियर अपना पलड़ा झाड़ते दिखे। हालांकि खस्ताहाल सड़कों को लेकर दो इंजीनियरों पर भी कार्रवाई हुई, लेकिन इंजीनियरों पर कार्रवाई से जनता का कोई भला नहीं हुआ है। वह खस्ताहाल सड़कों पर आज भी चल रही है और बरसात में जलभराव का सामना भी कर रही है। इन हालातों से बचने के लिये पहले ड्रेनेज सिस्टम ठीक करना जरूरी है। अगर संबंधित ठेकेदार इस पर खरा नहीं उतरता है तो उस पर कार्रवाई होनी ही चाहिये।
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