AI का गजब इस्तेमाल, ग्वालियर पुलिस ने 58 दिन में 50 लापता लोगों को ढूंढ कर पहुंचाया घर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर तमाम तरह की बातें चल रही हैं, लेकिन ग्वालियर पुलिस ने इसे अपना मददगार दोस्त बना लिया है. दरअसल, ग्वालियर पुलिस इसके जरिये पुराने अपराधियों को तो खोज ही निकाला, लेकिन खास सफलता ऐसे लोगों को ढूंढ़ने में मिली जो वर्षों से लापता थे. पुलिस उन लोगों के पुराने फोटो को एआई की मदद से बनाकर देखती हैं कि लापता बच्चे या बच्ची की हुलिया इस समय कैसी होंगी? पुलिस एआई के जरिये वो ऐसे तमाम लापता लोगों को बरामद कर उनके परिजनों तक पहुंचा चुकी हैं.
एसएसपी धर्मवीर सिंह बताते हैं कि एआई का सबसे बड़ा फायदा ऑपरेशन मुस्कान में नजर आ रहा है. इसकी मदद से पांच-पांच साल से लापता कुछ बच्चों तक पुलिस पहुंच पाई. बच्चों के पुराने यानी घटना के समय के फोटो पुलिस के पास थे. पांच या दस साल पहले लापता हुए यह लोग सालों बाद कैसे दिखते होंगे? इसका अंदाजा परिवार को भी नहीं था, लेकिन एआई इसमें मददगार बन गई. उन्होंने बताया कि एआई ने पुरानी फोटो के आधार पर वर्तमान की उम्र का फोटो तैयार किया और इसे जब इंटरनेट मीडिया के जरिए पुलिस ने दूसरे राज्यों की पुलिस के साथ साझा किया तो बच्चे मिल गए. इस तकनीक की मदद से हाल ही में बिहार में रह रही ग्वालियर की एक युवती तक पुलिस पहुंची, जो करीब चार साल पहले लापता हुई थी. उस समय उसकी उम्र 15 साल थी. इसलिए अपहरण की एफआईआर दर्ज हुई थी. एआई की मदद से उसका वर्तमान उम्र का संभावित फोटो तैयार कराया गया. उसके पास न तो मोबाइल था और ना ही आधार कार्ड. पुलिस ने जब फोटो साझा किया तो उसका सुराग मिल गया. इसके बाद पुलिस उस तक पहुंच गई. यहां पहुंचकर पुलिस को पता लगा कि उसने शादी कर ली है और वो अपनी मर्जी से बिहार आई थी.
एसएसपी धर्मवीर सिंह कहते हैं कि साल 2024 में 436 बच्चे लापता हुए, इसमें से 428 बच्चों को पुलिस ने एआई, सीसीटीवी, सीडीआर और अन्य तकनीक की मदद से ढूंढ निकाला. 2025 में एक जनवरी से अब तक 60 बच्चे लापता हुए, जिसमें से 50 बच्चे मिल गए. ऑपरेशन मुस्कान के तहत 62 बच्चे पुलिस ने ढूंढ निकाले, इसमें से 51 लड़कियां और 11 लड़के हैं. एसएसपी धर्मवीर सिंह कहते हैं कि एआई के इस्तेमाल से हम बच्चों को ढूंढ पा रहे हैं. कई बच्चे सालों से लापता थे, ऐसे बच्चों के वर्तमान के फोटो स्वजनों के पास नहीं थे. एआई से फोटो तैयार कराए और इसके सकारात्मक परिणाम रहे. हाल ही में बिहार से एक युवती को बरामद किया. जिन अपराधियों के फोटो नहीं है, उनके स्केच भी एआई की मदद से तैयार किए जा रहे हैं.

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