– अफसर अपनी ढपली अपने राग में, बेसिक कामों से नजरें फेरी
(धीरज बंसल)

ग्वालियर। नगर निगम का काम शहर सरोकार का है, लेकिन लगता है निगम अपने सरोकार भूल गया है। खस्ताहाल सड़कें और गडढ़े लोगों को रूला रहे है। निगम अपने जो बेसिक काम है उससे नजरें चुरा है। निगम आयुक्त को जरूरत है शहर सरोकार पर ध्यान देने की। लेकिन वह तो अपनी ढपली और अपना राग अलापते फिर रहे है।
यहां बता दें कि बीते दिनों चेम्बर के व्यापारी नेताओं ने निगम आयुक्त की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुये निगम आयुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया था। मजेदार बात यह है कि चेम्बर के मुखिया तो श्रीमंत के बेहद करीबी है। कांग्रेस सरकार के दौरान उन्हें श्रीमंत के चहेते होने से व्यापार मेला तक की कमान मिली थी। लेकिन निगम आयुक्त ने उन चेम्बर के व्यापारी नेताओं की मांग तक पर ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद इन व्यापारी नेताओं ने श्रीमंत से निगम आयुक्त की शिकायत की है। एक व्यापारी नेता ने बताया कि निगम आयुक्त का ध्यान शहर सरोकार पर है ही नहीं। वह तो सुबह भ्रमण पर निकलते है और दोपहर में बैठक तक सिमट जाते है। शहर सरोकार के काम जैसे सड़कों की हालत सुधरवाना, गडढ़े विहीन सड़कें करना, पेयजल की दिक्कत दूर करना, साफ सफाई पर व्यापक काम करना, आमजन के बेसिक कामों के सरलीकरण की प्रक्रिया करना इन सब पर ध्यान ही नहीं देते। इधर शहर की सड़कों की हालत खस्ता है, गडढों में आकर आये दिन हादसे व लोगों के वाहन खराब होते है, सीवर व्यवस्था चरमराई हुई है, नलों से गंदा पानी आ रहा है।
लेकिन सवाल है कि निगम के कारिंदे इस ओर ध्यान दे। सरोकार के काम से पल्ला झाड़कर बैठे निगम अफसर वसूली में लगे है। आये दिन टीसी से लेकर निगम अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े जा रहे है। लेकिन उनमे शर्म नाम की कोई बात ही नहीं है। निगम का काम शहर सरोकार का है, लेकिन निगम अफसर तो अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे है। जिससे बेसिक से काम तक बड़े होकर सीमट कर रहे गये है और लेनदेन के बाद ही कोई काम की आप आस कर सकते है।

