
महाराष्ट्र का एक ऐसा नेता जिसने अपनी पार्टी को लगतार तीसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया. पिछले 11 सालों में प्रदेश की राजनीति में उसका सामना राज्य की राजनीति के चाणक्य शरद पवार और हिंदू हृदय सम्राट बाला साहब ठाकरे के विरासत से थी. पर वह डिगा नहीं. बहुत सी विपरीत परिस्थितियां आईं पर वो आगे बढ़ता गया. बात हो रही है देवेंद्र फडणवीस को जो महाराष्ट्र के नए सीएम बनने जा रहे हैं. उनका राजनीतिक उत्थान ऐसे समय में हुआ है जब उनकी जाति उनके लिए सबसे बड़ी खलनायक बन चुकी थी. पर उन्होंने इसे कभी नकारात्मक पक्ष नहीं माना.
अपनी रणनीति के बल पर वह जनता के बीच देवा भाऊ के नाम से मशहूर होते हैं और सारे समीकरणों को ध्वस्त करके अपनी पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाते हैं. पर चाणक्य बनने के लिए इतना ही काफी नहीं होता है. जिस पार्टी में कुछ दिनों पहले शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसी महारथी बिल्कुल सेम परिस्थितियों मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने से चूक गए थे , फडणवीस ने उसे भी हासिल करके दिखा दिया. यानी विपक्ष पर सर्जिकल स्ट्राइक करने में माहिर तो रहे ही पार्टी के अंदर हर तरह के तीरों को भोथरा करने में उस्तादी दिखाई. इस तरह महाराष्ट की राजनीति को सही मायने में एक नया चाणक्य मिल गया है. देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था . पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे. मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था. इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था.
नए चाणक्य का उदय: शिवराज-वसुंधरा की तरह देवेंद्र फडणवीस को इग्नोर नहीं कर सकी BJP, महाराष्ट्र के अगले CM

