एक मई से शुरू होगा मिनी तरण पुष्कर, बाल सरोवर में बढ़ेगी संख्या

ग्वालियर। तैराकी के शौकीन छोटे बच्चों की छई छप्पा छई के लिए आगामी एक मई से दीनदयाल नगर स्थित मिनी तरण पुष्कर को शुरू कर दिया जाएगा। मिनी तरण पुष्कर को भरना शुरू कर दिया गया है और सिर्फ दो फीट पानी भरना शेष है। दूसरी तरफ बाल सरोवर की शुरूआत भी इसी माह हो गई थी, लेकिन अभी स्कूली सत्र चालू रहने के कारण सिर्फ 50 बच्चे ही बाल सरोवर में आ रहे हैं, लेकिन आगामी एक मई से यहां भी बंपर भीड़ जुटने वाली है। इसका कारण है कि एक मई से स्कूलों की छुट्टियां होने के कारण बच्चे अभी से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कर रहे हैं। ऐसे में आगामी एक मई से सैकड़ों की संख्या में बच्चे नगर निगम के इन दोनों तरण तालों में छलांग लगाते हुए नजर आएंगे।
वर्तमान में बाल सरोवर में सुबह के समय तीन बैच चलाए जा रहे हैं। ये बैच सुबह सात बजे से शुरू होते हैं और प्रत्येक बैच एक घंटे का होता है। ऐसे में 10 बजे तक बाल सरोवर में बच्चे तैराकी और अठखेलियां करते नजर आते हैं। वहीं शाम के समय भी तीन बैच संचालित किए जा रहे हैं। ये बैच शाम पांच बजे से शुरू होते हैं और रात आठ बजे तक चलते हैं। वर्तमान में छह बैच में मात्र 50 बच्चे ही आ रहे हैं। निगम के खेल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बाल सरोवर में कम आयु के बच्चे ही आते हैं, जिनके वर्तमान में स्कूल खुले हुए हैं। आगामी एक मई से स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश की शुरूआत हो जाएगी। ऐसे में बच्चों की संख्या में वृद्धि हो जाएगी। वर्तमान में 150 से अधिक बच्चे एक मई के बाद आने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। उधर, भिंड रोड, गोला का मंदिर सहित आसपास की कालोनियों के निवासियों के लिए दीनदयाल नगर में मिनी तरण पुष्कर की शुरूआत कराई जाती है। वैसे तो मिनी तरण पुष्कर को एक अप्रैल से ही शुरू किया जाता है, लेकिन अब इसे एक मई को शुरू कराया जाएगा। इसके लिए मिनी तरण पुष्कर की साफ-सफाई कराकर इसे भरना भी शुरू कर दिया गया है। बाल सरोवर में प्रवेश के लिए 100 रुपये का रजिस्ट्रेशन फार्म लिया जाता है। पूरे सीजन में तैराकी के लिए 750 रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क अदा करना पड़ता है। इसके बाद 300 रुपये मासिक शुल्क लिया जाता है। इस दौरान बच्चे एक दिन में पूरे एक घंटे के लिए तैराकी के आनंद ले सकते हैं। कोरोना के बाद से बाल सरोवर बंद पड़ा हुआ था, जिसे इसी वर्ष शुरू कराया गया है। ऐसे में बच्चे भी बेसब्री से स्कूलों के अवकाश होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वे चार साल के बाद इस सरोवर का आनंद ले सकें।