सेंसेक्स की तरह हैं प्रदेश की बिजली दरें ?

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ग्वालियर | बिजली की दरों को लेकर कई बार विपक्ष सवाल उठाता रहा है, लेकिन उसको शायद इस बात का पता नहीं है कि प्रदेश के करीब 1.7 करोड़ उपभोक्ताओं को सब्सिडी देकर उनको लाभ पहुंचाया जा रहा है। बिजली के उपार्जन व खपत में भले ही कोई अंतर अधिक न हो, लेकिन ऊर्जा विभाग को बिजली बनाने में जो खर्च करना पड़ रहा है, उसकी दरें सेंसेक्स की तरह घटती बढ़ती रहती हैं। उसके बाद भी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें ऐसी रखी गई हैं, जिससे उनके ऊपर अधिक आर्थिक भार न पड़े। चालू वित्तीय साल में सरकार 27 हजार करोड़ की राशि सब्सिडी के तौर पर देगी, जिससे पता चलता है कि सरकार पर बिजली का भार कितना बढ़ गया है।

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प्रदेश में बिजली के लिए दूसरे विकल्पों पर काम किया जा रहा है, जिससे सब्सिडी के तौर पर दी जाने वाली हजारों करोड़ की राशि की बचत हो सके और वह राशि प्रदेश के विकास पर खर्च की जा सके। यही कारण है कि प्रदेश में सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में काम हो रहा है। इस काम में बिजली कंपनी के अलावा नवकरणीय ऊर्जा विभाग भी काम कर रहा है। प्रदेश में इस समय बिजली बनाने का जो काम किया जा रहा है, उसका खर्च सेंसेक्स की तरह घटता-बढ़ता रहता है, कभी यह खर्च प्रति यूनिट 4 रुपए आता है तो कभी यहीं खर्च 14 से 18 रुपए तक पहुंच जाता है। इस तरह के घटते-बढ़ते हिसाब से विभाग का गणित बिगड़ जाता है, क्योंकि उपभोक्ता के ऊपर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ न पड़े, इसके लिए सब्सिडी के तौर पर हजारों करोड़ रुपए लंबे समय से सरकार वहन कर रही है।

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प्रदेश में बिजली का उपयोग करने वाले कई श्रेणी में उपभोक्ता हैं, इसमें एक घरेलू उपभोक्ता है तो दूसरे कमर्शियल व औद्योगिक उपभोक्ता। घरेलू उपभोक्ताओं को तो सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन उसका काफी अधिक भार औद्योगिक व कमर्शियल उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। वैसे तो बिजली बिल को लेकर विपक्ष के साथ ही आमजन आरोप लगाता रहा है, लेकिन उसे यह नहीं पता कि जो बिजली उनके घर पहुंचाई जा रही है उसकी कीमत कितनी है। चालू वित्तीय वर्ष में भी सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली पर सब्सिडी देने के लिए 27 हजार करोड़ की राशि का प्रावधान किया है। यह राशि इससे अधिक भी हो सकती है।

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अप्रैल माह से बदला है टैरिफ
प्रदेश में प्रति यूनिट बिजली दर 2025 में बदल गई है। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने 3.46 प्रतिशत की औसत वृद्धि को मंजूरी दी है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुकी है। घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक के बिल पर 24 रुपए तक बढ़ाए गए हैं, लेकिन उन्हें अटल गृह च्योति योजना के तहत पहले की तरह 100 रुपए का ही भुगतान करना होगा।

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