
ग्वालियर। सीजन के तहत बिजली की खपत कम व अधिक होती रहती है, लेकिन मेंटेनेंस का काम ऐसा है, जो पूरे साल चलता है, जिसके चलते कटौती का खेल बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। हर रोज किसी न किसी इलाके में बिजली कटौती हो रही है। अभी तक तो सर्दी का समय था, जिसके कारण लोगों को दिक्कतें कम हो रही थीं, लेकिन पिछले चार दिन से तापमान ऊपर चढ़ जाने से गर्मी का अहसास होने लगा है, जिसके कारण बिजली कट होने से घरों में लोगों को गर्मी से बेचैनी सी होने लगी है।
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मेंटेनेंस को लेकर कई बार कहा जाता रहा है कि बारिश में दिक्कत न हो इसलिए यह काम किया जाता है, लेकिन सर्दी के मौसम में जब लोड काफी कम रहता है फिर मेंटेनेंस के नाम पर कटौती क्यों की जाती है ? गर्मी के सीजन में बिजली कटौती होना स्वाभाविक माना जा सकता है, क्योंकि लोड अधिक पड़ता है, लेकिन सर्दी के मौसम में भी अगर कटौती बंद नहीं हो सकी तो समझ सकते हैं कि बिजली कट करने के पीछे क्या खेल है? विभागीय सूत्रों का कहना है कि बिजली कटौती के पीछे कारण यह भी है कि ग्वालियर में जिस तरह से बिजली की चोरी हो रही है, उसके चलते खपत व मिलने वाले राजस्व के आंकड़े को ध्यान में रखा जा रहा है। इसका कारण यह है कि बिजली अधिकारी जवाब देने से बचने के लिए ही मेंटेनेंस के नाम पर घोषित व अघोषित बिजली कटौती का क्रम हर सीजन में बनाए हुए हैं। ठंड के मौसम में जहां बिजली की खपत प्रतिदिन 40 लाख यूनिट रहती है तो यही यूनिटों की संख्या गर्मी के मौसम में दोगुना से अधिक हो जाती है। शहर में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि जिस तेजी से शहर का विस्तार होता जा रहा है, उसी के तहत बिजली की खपत हर साल बढ़ रही है, लेकिन उसके हिसाब से व्यवस्था नहीं की जा सकी है। यही कारण है गर्मी के सीजन में जब लोड बढता है तो ट्रांसफार्मर भी हांफनी भरने लगते हैं और अपने आप कट ऑफ हो जाते हैं, जिसके कारण कटौती लंबे समय तक बिना सूचना के ही झेलना पड़ती है। वर्तमान में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 15 लाख के करीब है और यह संख्या अब ओर बढ गई होगी।
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गर्मी का आगाज हुआ ही है कि बिजली कटौती को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन की शुरुआत कर दी है। इसके पीछे कारण यह भी है कि कम राशि के बकाया वालों के कनेक्शन तो काट दिए जाते हैं जबकि लंबी राशि के बकायादारों के कनेक्शन काटने की हिम्मत बिजली कंपनी नहीं कर पा रही है। कांग्रेस के लिए अब गर्मी के सीजन में बिजली ही सबसे बड़ा आंदोलन का हथियार रहने वाला है, क्योंकि घोषित व अघोषित कटौती का क्रम बंद नहीं हो रहा है। साथ ही बिजली बिल भी उपभोक्ताओं के ऊपर आर्थिक चोट कर रहे हैं।
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