धूल से बिगड़ रही आवोहवा, कैसे होगा शहर प्रदूषण रहित?

ग्वालियर। शहर में पहले कभी वाहनों से पर्यावरण बिगड़ता था, लेकिन अब स्थिति यह है कि वाहनों से ज्यादा धूल शहर की आवोहवा को खराब कर रही है। शहर में भले ही करोड़ों के विकास कार्य करने की बात कही जाती हो, लेकिन जिस तरह से शहर के पॉश इलाकों में धूल उड़ रही है, उतनी तो शायद गांवों में भी नहीं उड़ रही, जिसके कारण लोग काफी परेशान हैं और संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। शहर में सिटी सेंटर इलाका ऐसा है, जहां जमीन की कीमत करीब 10 से 15 हजार स्क्वॉयर फीट के आसपास है, लेकिन धूल का गुबार फिर भी यहां उड़ रहा है तो समझ सकते हैं कि विकास की रफ्तार किस दिशा में और किस तरह हो रही है।
सर्द मौसम में आमजन को सबसे अधिक परेशान प्रदूषण करता है, क्योंकि हवा कम चलने से और नमी होने से धूल के कण आमजन के शरीर में चिपक रहे हैं। साथ ही सांस लेते समय शरीर के अंदर भी प्रवेश कर रहे हैं। वैसे शहर का प्रदूषण दिल्ली की आवोहवा बिगड़ने के बाद और बिगड़ता है, लेकिन इस समय हवा भी ऐसी नहीं चल रही है जिससे दिल्ली का गुबार मध्यप्रदेश में आ सके, लेकिन उसके बाद भी स्थिति प्रदूषण की बिगड़ी हुई है तो समझ सकते हैं कि जिम्मेदार अधिकारी क्या कर रहे हैं। वैसे प्रदेश के मुख्य सचिव शहर की बिगड़ी आवोहवा से नाराज हैं और उन्होंने जिला प्रशासन से प्रदूषण कैसे दूर होगा, उसको लेकर माइक्रो लेवल एक्शन प्लान मांगा है। कहा जाता था वाहन बिगाड़ रहे हालात पर अब यह बहाना भी नहीं बचा पहले कहा जाता था कि वाहन शहर की आवोहवा को बिगाड़ रहे हैं और उससे निकलने वाले धुएं से ही वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन अब अधिकारियों के पास यह बहाना भी नहीं बचा है, क्योंकि शहर के अधिकांश लोकल परिवहन वाहन सीएनजी से संचालित हो रहे हैं जिसके कारण वाहनों से धुआं निकलने से प्रदूषण नहीं हो रहा है बल्कि जिस तरह से धूल उड़ रही है उससे वायु प्रदूषण पूरी तरह से बिगड़ चुका है।