
इस बार लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बड़ी जोर-शोर से दल-बदल का अभियान चला था. बीजेपी ने दल बदल की राजनीति के लिए पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को न्यू ज्वाइनिंग टोली का संयोजक बनाया था. नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व में अनेक कांग्रेस पदाधिकारियों ने बीजेपी का दामन थामा था, जिनमें तीन विधायक भी शामिल रहे. लेकिन खास बात यह है कि इन 3 विधायकों में से एक विधायक कमलेश शाह ही बीजेपी की कसौटी पर खतरे उतरे और उन्होंने अपनी विधायकी से इस्तीफा भी दे दिया. लेकिन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले 2 विधायकों ने अभी विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है. जिससे अब इन विधायकों को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इन विधायकों की बीजेपी में आस्था अधूरी रही.
इस दल बदल की राजनीति में तीन विधायकों ने भी पाला बदला था. पाला बदलने वाले विधायकों में सबसे पहला नाम आता है, पूर्व सीएम कमलनाथ के करीबी कमलेश शाह का. अमरवाड़ा से तीन बार के विधायक कमलेश शाह ने 29 मार्च 2024 को कांग्रेस छोडक़र बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. उन्होंने विधायकी से इस्तीफा भी दे दिया था. अब उनकी अमरवाड़ा सीट पर फिर से उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी ने कमलेश शाह को ही अपना प्रत्याशी बनाया है. दल बदलने वाले विधायकों में दूसरे नंबर पर है विजयपुर सीट से छह बार के विधायक रामनिवास रावत. उन्होंने 30 अप्रैल 2024 को कांग्रेस छोडक़र बीजेपी की सदस्यता ली. वे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते रहे है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर अन्याय करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने कई बार नाइंसाफी की. इस बार भी टिकट ऐसे प्रत्याशी को दिया, जिसने मेरे खिलाफ दो बार बूथ कैप्चरिंग की. दल बदलने वाले विधायकों में तीसरा नाम है बीना से विधायक निर्मला सप्रे का. निर्मला सप्रे ने 5 मई को कांग्रेस छोडक़र सीएम डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. विधायक निर्मला सप्रे ने पार्टी छोडऩे के पीछे की वजह पीसीसी चीफ जीतू पटवारी द्वारा महिलाओं के लिए दिए गए बयान को बताया था. उन्होंने कांग्रेस नेताओं द्वारा महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी का आरोप लगाया था. बता दें कि बीजेपी की इस कसौटी पर केवल अमरवाड़ा से विधायक रहे कमलेश ही खरे उतरे और उन्होंने इस्तीफा दिया है, लेकिन अभी तक बीना से विधायक निर्मला सप्रे और रामनिवास रावत ने इस्तीफा नहीं दिया है. इनके इस्तीफे में हो रही देरी को लेकर अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि केन्द्र में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, ऐसे में इन विधायकों की बीजेपी में आस्था पर अब सवाल उठने लगे हैं.

