ग्वालियर | नगर निगम में अधिकारी सेवानिवृत होने के बाद मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों और बड़े अधिकारियों से जुगाड़ लगाकर फिर संविदा पद पर आ रहे हैं और मलाईदार या बड़ा पद हथिया कर मौज कर रहे हैं। इन अफसरों ने नियमों को ताक पर रखकर निगम के कार्यशाला विभाग से गाड़ी भी अपने लिए ले रखी है। इस इस व्यवस्था से नए लोगों को मौका नहीं मिल पा रहा है। सेवानिवृति के बाद फिर बड़ा पद हथियाने वाले अफसरों का शहर के विकास कार्य से कोई लेना देना नहीं है, न ही लोगों की समस्याओं व निगम का खजाना भरने से मतलब है। इससे निगमकर्मियों व अफसरों में आक्रोश पनप रहा है, क्योंकि आगामी 2025-26 में भी कई अधिकारी- कर्मचारी निगम से सेवानिवृत होने वाले हैं, यह भी संविदा पर निगम में वापस आने की जुगाड़ में लगे हुए हैं।
नगर निगम में संविदा पर आए नोडल अधिकारी लल्लन सिंह सेंगर, डॉ. अतिबल सिंह यादव, आरके शुक्ला व महेंद्र शर्मा ने बड़ा पद हथिया लिया है, वहीं निगम की कार्यशाला से गाड़ी भी ले ली है। जबकि शहरवासियों को न तो सीवर से राहत मिल पा रही है, न ही जलकर व संपत्तिकर की वसूली हो पा रही है। खास बात यह है कि आए दिन लोग आयुक्त से शिकायत करते हैं कि नोडल अधिकारी लल्लन सेंगर का फोन ही नहीं उठता है, इससे सीवर की समस्या अधिक बढ़ रही है। आगामी वर्षों में एपीएस जादौन, सिटी प्लानर, संजय गोयल, कार्यालय अधीक्षक सामान्य प्रशासन, एपीएस भदौरिया उपायुक्त, सतपाल सिंह चौहान उपायुक्त, राजेंद्र शर्मा एई, सुशील कटारे कार्यपालन यंत्री सहित अन्य सेवानिवृत होने वाले हैं|
संविदा का ये है नियम
“यदि कोई पद तीन वर्षों से खाली है, तब उस पद पर संविदा के रूप में नियुक्ति की जा सकती है। इसमें भी संविदा पर रखे जाने वाले कर्मचारी को उसके मूल पद यानी जिस पद से वह सेवानिवृत हुआ है, उसी पद पर रखा जा सकता है। यह भी एक वर्ष और अधिकतम तीन वर्ष यानी 65 वर्ष की उम्र तक ही है। “– आरके श्रीवास्तव, सेवानिवृत अपर आयुक्त नगर निगम