2020 में देखा मेडिकल कॉलेज का सपना, अब तक नहीं हुआ पूरा

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ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी में मेडिकल कॉलेज खोलने की कवायद वर्ष 2020 में बड़े जोश और उत्साह के साथ शुरू हुई थी। इस दिशा में सबसे पहले कदम तत्कालीन कुलगुरु प्रो. संगीता शुक्ला ने उठाए थे। उन्होंने शासन से प्रस्ताव तैयार कर अनुमति की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन दुर्भाग्यवश यह प्रयास अब तक फलीभूत नहीं हो पाया है।

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प्रो. संगीता शुक्ला का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 10 दिसंबर 2021 को शासन ने प्रो. अविनाश तिवारी को कुलगुरु पद की जिम्मेदारी सौंपी। प्रो. तिवारी ने तीन वर्षों से अधिक समय तक कुलगुरु पद पर रहते हुए मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लेकर कुछ पहल की, लेकिन इसमें कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी। अंततः 19 फरवरी 2025 को शासन ने विश्वविद्यालय में धारा- 52 लागू करते हुए पद से हटा दिया। इसके बाद अब वर्तमान में डॉ. रामकुमार आचार्य कार्यपरिणायक कुलगुरु की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इन पांच वर्षों के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन में नेतृत्व परिवर्तन होते रहे, लेकिन मेडिकल कॉलेज के सपने को कोई ठोस दिशा नहीं मिल सकी। शासन स्तर से भी अपेक्षित मार्गदर्शन और अनुमति नहीं मिल पाने से योजना अधर में है।

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जिस भवन में मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जाना था, वह फिलहाल खाली है। न तो उसमें नियमित गतिविधियां हो रही हैं और न ही किसी वैकल्पिक उपयोग के लिए खोला जा रहा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भवन को मेडिकल कॉलेज के लिए आरक्षित किया हुआ है, लेकिन मेडिकल कॉलेज के लिए अब तक एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) की अनुमति नहीं मिल पाई है। उल्लेखनीय है कि विवि प्रशासन ने बिना पूरी तैयारी के ही गत वर्ष एनएमसी निरीक्षण के लिए आवेदन कर दिया था। इसके चलते निरीक्षण दल के आने-जाने, डॉक्यूमेंटेशन, प्रस्तुतीकरण और अन्य व्यवस्थाओं पर लगभग 25 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। लेकिन निरीक्षण के दौरान मूलभूत सुविधाएं, फैकल्टी, उपकरण और हॉस्पिटल से जुड़ी व्यवस्थाएं अधूरी पाई गई। इस कारण अनुमति नहीं मिल सकी और सारी मेहनत व धन बर्बाद हो गया।

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एनएमसी में आवेदन करने की तैयारियां शुरू
अब एक बार फिर एनएमसी में आवेदन करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है। मजे की बात ये है कि इस समिति में फार्मेसी अध्ययनशाला के प्रो. डॉ. मुकुल तेंलग, पुरातत्व विभाग के डॉ. शांतिदेव सिसोदिया, बॉटनी के प्रो. डॉ. सपन पटेल, लेखा एआर साधना शर्मा, एआर जगपाल यादव और सदस्य के रूप में विश्वरंजन गुप्ता को रखा है।

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