
ग्वालियर। पुलिस की कार्यप्रणाली कितनी भ्रष्टमुक्त है यह एक दलित पत्रकार के साथ ज्यादती के बाद उजागर होती है। पता चला है कि दलित पत्रकार को बीते दिनों पिता-पुत्र द्वारा जातिसूचक गालियां और जान से मारने की धमकी दी गई थी। जिसके बाद पत्रकार ने विश्वविधालय थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। लेकिन पुलिस ने अपराधी से ही पैसा खाकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जिसके बाद अब पत्रकार ने सीएम हेल्पलाइन की शरण ली है।
जानकारी के अनुसार हाल ही में एक दलित पत्रकार मनोज पुरिया को सिंधिया नगर निवासी कपिल गुप्ता और उसके पिता ने उसको जातिसूचक गालियां और जान से मारने की धमकी दे डाली। जिसके नजीतन उसके द्वारा कपिल गुप्ता और उसके पिता पर उचित कानूनी धाराओं के तहत कार्यवाही हेतु संबधित थाना विश्वविधालय को प्राथमिकी दर्ज कराने हेतु 6 अक्टूबर को एक आवेदन दिया था, जिस पर आज दिनांक तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई है। पुलिस के इस रूखे खैये के कारण संबधित पत्रकार को सीएम हेल्पलाईन का साहरा लेना पड़ा है। अब देखना यह है कि क्या उस पत्रकार को इस सीएम हेल्पलाईन से कब तक क्या सहायता प्राप्त होती है।

बहरहाल कपिल गुप्ता के जानने वालों को कहना है। श्रीगुप्ता दावा करता है कि अब कोई भी कानूनी कार्यवाही या एफआईआर हमारे खिलाफ नहीं होगी। हमने तो पुलिस को 20 हजार रूपये पहुंचा दिये हैं और नेता जी से फोन भी लगवा दिया है। अब कोई भी पत्रकार हो या दलित पुलिस हम पर कोई कार्यवाही कर ही नहीं सकती । गुप्ता परिवार का तो यहां तक कहना सुनने में आया है कि हम जो भी करते हैं खुल्लम खुल्ला करते हैं। हम तो आटा चक्की भी अवैध रूप से चला रहे हैं। आटे में चावल दुनिया मिला रही है। हम मिला रहे हैं तो कौन अपराध है। कलेक्टर बड़े बड़े चोरों को पकड़ नहीं पा रहे हमें का मूसर पकड़ेगा कोई ? इस मामले में आईजी अरविंद सक्सेना का कहना है कि पुलिस पर उंगली उठाना जनता की आज कल एक स्वभाविक क्रिया बनकर सामने आयी है। वल्कि ऐसा सत्य नहीं है पुलिस समय पर कार्यवाही करती है। अगर किन्हीं थाना प्रभारियों के द्वारा ऐसा किया जा रहा है तो उस पर जांच कर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।

